सिलचर (असम), 18 दिसंबर (आईएएनएस)। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को कहा कि म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के कारण उस देश के लगभग 6,000 लोगों ने उनके राज्य में शरण ली है।
दक्षिणी असम की बराक घाटी में मणिपुरी समुदाय के एक समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि म्यांमार में अशांति के कारण महिलाओं और बच्चों सहित अब तक लगभग 6,000 लोग मणिपुर आ चुके हैं।
उन्होंने मीडिया से कहा, “हम मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए म्यांमार के लोगों को भोजन और आश्रय दे रहे हैं। चूंकि अस्थिर स्थिति जारी है, और भी लोगों के भारत आने की संभावना है।”
सिंह ने पड़ोसी देश म्यांमार से मणिपुर में हो रही घुसपैठ पर गहरी चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि कामजोंग और उखरुल जैसे क्षेत्रों में बायोमेट्रिक डेटा संग्रह और प्रोफाइलिंग प्रक्रियाएं चल रही हैं और वहां बढ़े हुए संघर्षों की रिपोर्टों को देखते हुए म्यांमार से सटे बेहियांग जैसे क्षेत्रों में भी इसी तरह की रणनीति अपनाने की घोषणा की।
“हम उनके साथ शरणार्थियों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते, लेकिन मानवीय आधार पर म्यांमार के नागरिकों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं। हम म्यांमार के नागरिकों को राज्य की सीमाओं के भीतर स्थायी बस्तियां स्थापित करने की अनुमति नहीं देंगे।”
मणिपुर के अलावा, मिजोरम में भी सेना और लोकतंत्र समर्थक बलों के बीच झड़पों के कारण म्यांमार से ताजा घुसपैठ देखी जा रही है। म्यांमार सेना के तख्तापलट के बाद अब तक निर्वाचित नेताओं समेत 32,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने मिजोरम में शरण ली है।
नागरिक बलों द्वारा कुछ सेना शिविरों पर नियंत्रण किए जाने के बाद कुल 104 सेना सैनिक भी मिजोरम भाग गए। हालांकि, बाद में भारतीय अधिकारियों ने उन्हें उनके देश वापस भेज दिया।
म्यांमार में ताजा लड़ाई के बाद सैकड़ों लोगों ने मणिपुर के कामजोंग में शरण ली है, जो अकेले म्यांमार के साथ 109 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। मणिपुर के पांच जिले – चुराचांदपुर, चंदेल, कामजोंग, तेंगनौपाल और उखरुल म्यांमार के साथ लगभग 400 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले मणिपुर और मिजोरम सरकारों को दोनों राज्यों में “अवैध प्रवासियों” का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने और इस साल सितंबर तक प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा था। मणिपुर सरकार के अनुरोध के बाद समय सीमा एक साल बढ़ा दी गई। हालांकि, पिछली मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार ने पहले इस प्रक्रिया को अंजाम देने से इनकार कर दिया था और इसके बजाय इस मामले को एमएचए के साथ उठाया था, लेकिन केंद्र ने इस प्रक्रिया पर जोर दिया।
–आईएएनएस
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