मुंबई, 20 अक्टूबर, (आईएएनएस) । मर भी जाएं प्यार वाले…जिंदा रहती हैं उनकी मोहब्बतें… यश चोपड़ा आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनकी बनाई शानदार फिल्मों ने उन्हें आज हर किसी के दिलों में जिंदा रखा है। आज ही के दिन (21अक्टूबर 2012 को) ‘रोमांस किंग’ ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। हिंदी फिल्म जगत के प्रसिद्ध निर्देशक यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को हुआ था।
1959 में यश चोपड़ा ने अपनी पहली फिल्म ‘धूल का फूल’ बनाई थी। इसके बाद उन्होंने दर्शकों के लिए 1961 में धर्मपुत्र बनाई। हालांकि, उन्हें शोहरत मिली सन 1965 में बनी फिल्म ‘वक्त’ से। बतौर निर्देशक उन्होंने फिल्म जगत को ‘वीर जारा’ (2004),’दिल तो पागल है’ (1997), ‘डर’ (1993), ‘परंपरा'(1992), ‘लम्हें’ (1991), ‘चांदनी'(1989), ‘विजय’, ‘दीवार’, ‘जोशीला’ जैसी फिल्में दीं। बतौर निर्माता भी उन्होंने कई शानदार फिल्में दी हैं।
यश चोपड़ा का फिल्मी करियर काफी शानदार रहा है। ‘रोमांस किंग’ ने 50 से अधिक फिल्में अपने दर्शकों को दी हैं। खास बात है कि इनमें से ज्यादातर फिल्में सुपरहिट रही हैं। उन्हें हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक ऐसे फिल्म निर्माता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने 6 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार को अपने नाम किया। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ और 2005 में भारतीय सिनेमा के प्रति उनके योगदान के लिए ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।
साल 2007 में ‘लागा चुनरी में दाग’, 2000 में ‘मोहब्बतें’ तो 1982 में फिल्म ‘सवाल’ आई। इन फिल्मों को दर्शकों से भर-भरकर प्यार मिला। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी काफी चली और आज भी दर्शक इन फिल्मों को मिस नहीं करते हैं। साल 2012 का 21 अक्टूबर भारतीय सिने प्रेमियों के काला दिन था।
कहा जाता है कि यश चोपड़ा अपनी आखिरी फिल्म ‘जब तक है जान’ फिल्म बना रहे थे, तब उन्होंने अनाउंस कर दिया था कि वह अब रिटायरमेंट लेंगे। लेकिन फिल्म रिलीज के कुछ दिनों पहले ही डेंगू होने की वजह से उनके शरीर के कई अंग फेल हो गए और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
–आईएएनएस
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