नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों की वेबसाइटों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की डिटेल नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा, ”उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।”
उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि राज्य सरकारों को आम जनता तक पहुंच के लिए सभी डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए।
पिछली सुनवाई में पीठ ने सभी राज्य सरकारों से 2018 से प्राप्त शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर और भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामलों में दायर आरोप पत्रों के संबंध में वर्ष-वार डेटा देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों के विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। हालांकि, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि केंद्र सरकार ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खतरे को रोकने के लिए निवारक और उपचारात्मक उपायों वाली रिपोर्ट दाखिल नहीं की।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम
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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों की वेबसाइटों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की डिटेल नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा, ”उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।”
उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि राज्य सरकारों को आम जनता तक पहुंच के लिए सभी डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए।
पिछली सुनवाई में पीठ ने सभी राज्य सरकारों से 2018 से प्राप्त शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर और भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामलों में दायर आरोप पत्रों के संबंध में वर्ष-वार डेटा देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों के विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। हालांकि, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि केंद्र सरकार ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खतरे को रोकने के लिए निवारक और उपचारात्मक उपायों वाली रिपोर्ट दाखिल नहीं की।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों की वेबसाइटों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की डिटेल नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा, ”उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।”
उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि राज्य सरकारों को आम जनता तक पहुंच के लिए सभी डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए।
पिछली सुनवाई में पीठ ने सभी राज्य सरकारों से 2018 से प्राप्त शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर और भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामलों में दायर आरोप पत्रों के संबंध में वर्ष-वार डेटा देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों के विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। हालांकि, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि केंद्र सरकार ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खतरे को रोकने के लिए निवारक और उपचारात्मक उपायों वाली रिपोर्ट दाखिल नहीं की।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
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जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा, ”उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।”
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अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
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जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
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पिछली सुनवाई में पीठ ने सभी राज्य सरकारों से 2018 से प्राप्त शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर और भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामलों में दायर आरोप पत्रों के संबंध में वर्ष-वार डेटा देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
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अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
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अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
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अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों की वेबसाइटों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की डिटेल नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा, ”उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।”
उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि राज्य सरकारों को आम जनता तक पहुंच के लिए सभी डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए।
पिछली सुनवाई में पीठ ने सभी राज्य सरकारों से 2018 से प्राप्त शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर और भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामलों में दायर आरोप पत्रों के संबंध में वर्ष-वार डेटा देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों के विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। हालांकि, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि केंद्र सरकार ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खतरे को रोकने के लिए निवारक और उपचारात्मक उपायों वाली रिपोर्ट दाखिल नहीं की।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों की वेबसाइटों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की डिटेल नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा, ”उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।”
उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि राज्य सरकारों को आम जनता तक पहुंच के लिए सभी डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए।
पिछली सुनवाई में पीठ ने सभी राज्य सरकारों से 2018 से प्राप्त शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर और भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामलों में दायर आरोप पत्रों के संबंध में वर्ष-वार डेटा देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों के विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। हालांकि, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि केंद्र सरकार ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खतरे को रोकने के लिए निवारक और उपचारात्मक उपायों वाली रिपोर्ट दाखिल नहीं की।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों की वेबसाइटों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों की डिटेल नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को मामले में अनुपालन हलफनामे दाखिल करना सुनिश्चित करने का फिर से निर्देश देते हुए कहा, अटॉर्नी जनरल को यहां रहने दें। हमने एक आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा, ”उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।”
उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि राज्य सरकारों को आम जनता तक पहुंच के लिए सभी डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए।
पिछली सुनवाई में पीठ ने सभी राज्य सरकारों से 2018 से प्राप्त शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर और भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामलों में दायर आरोप पत्रों के संबंध में वर्ष-वार डेटा देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों के विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। हालांकि, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि केंद्र सरकार ने नफरत फैलाने वाले भाषण के खतरे को रोकने के लिए निवारक और उपचारात्मक उपायों वाली रिपोर्ट दाखिल नहीं की।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की अनुपलब्धता के कारण, शीर्ष अदालत ने मामले को 20 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन पर आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
तहसीन एस पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।