जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में दायर एक याचिका दायर में दावा किया गया है कि नर्मदा किनारे स्थित शासकीय भूमि वक्फ को दे दी गई. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई पश्चात यथास्थिति के निर्देश देते हुए राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है.
यह मामला याचिकाकर्ता नर्मदापुरम निवासी ओमप्रकाश शर्मा की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया कि वह सामाजिक कार्यकर्ता है, उसने नर्मदापुरम में नर्मदा किनारे स्थित भूमि के बड़े हिस्से में पौधारोपण किया था. पौधे अब पेड़ बन गए हैं. इससे नर्मदा किनारे हरियाली मन मोहती है. साथ ही मृदा क्षरण की समस्या से भी निजात मिल गई है.
इससे नर्मदा के तटबंध सुरक्षित हो गए हैं. लेकिन समस्या यह खड़ी हो गई है कि मोहम्मद मकसूद नामक व्यक्ति ने नर्मदा किनारे की शासकीय भूमि को वक्फ की भूमि करार देते हुए शरद सिंह के नाम रजिस्ट्री करा दी.
इसके साथ ही जमीन खाली करके निर्माण कराने नर्मदा किनारे के पेड़ काटने की तैयारी शुरू कर दी गई है. मामले की सुनवाई दौरान बताया गया कि जब इस भूमि के नामांतरण का आवेदन किया गया तो वक्फ की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई.
पूर्व में हाईकोर्ट जनहित याचिका पर आदेश पारित कर चुका है कि नर्मदा के तीन सौ मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण नहीं किया जा सका. ऐसे में नजूल सीट नंबर-46 की नर्मदा किनारे की भूमि जो दस्तावेज में बंगला के नाम दर्ज है, वह वक्फ की कैसे हो गई. सुनवाई पश्चात न्यायालय ने उक्त निर्देश देते हुए अनावेदकों को जवाब पेश करने के निर्देश दिये है.