मुंबई, 20 अक्टूबर, (आईएएनएस)। फिल्म जगत के चमकते सितारों में से एक दिवंगत शम्मी कपूर भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके काम की चमक आज भी कायम है। 21 अक्टूबर 1931 को जन्में शम्मी कपूर का पूरा नाम शमशेर राज कपूर था। बड़ी-बड़ी आंखें, चेहरे पर गजब का तेज, उनकी भाव-भंगिमा की तरह उनकी आवाज भी गरजती थी। हिंदी सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले अभिनेता एक मस्तमौला इंसान थे।
शम्मी कपूर को भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान और सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में भी काम किया। उस दशक में भी उनके पास तीन फिल्मफेयर पुरस्कारों के साथ सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार था। शम्मी कपूर का जन्म मुंबई में पृथ्वीराज कपूर और रामशरनी मेहरा कपूर के घर हुआ था। भले ही शम्मी कपूर का जन्म मुंबई में हुआ था।
उन्होंने अपने बचपन का एक बड़ा हिस्सा कोलकाता में बिताया था। कोलकाता में ही उन्होंने अपनी मोंटेसरी शिक्षा और किंडरगार्टन की पढ़ाई की। मुंबई वापस आने के बाद पहले सेंट जोसेफ कॉन्वेंट ( वडाला ) और फिर डॉन बॉस्को स्कूल में एडमिशन लिए। उन्होंने ह्यूजेस रोड स्थित न्यू एरा स्कूल से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। रामनारायण रुइया कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद वह अपने पिता की ड्रामा कंपनी पृथ्वी थियेटर्स में शामिल हो गए। थियेटर्स के साथ शम्मी कपूर लगातार जुड़े रहे। उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत वर्ष 1953 में आई फिल्म जीवन ज्योति के साथ की थी।
फिल्म को महेश कौल ने निर्देशित किया था, जिसमें उनकी अभिनेत्री चांद उस्मानी थीं। शम्मी कपूर ने 1953 में शशिकला और लीला मिश्रा अभिनीत जीवन ज्योति की रिलीज़ के साथ हिंदी फ़िल्मों में डेब्यू किया था। शम्मी कपूर के जीवन में असफलता से सफलता तक का रास्ता भी काफी लंबा था। उन्होंने रेल का डिब्बा, नकाब, हम सब चोर हैं, महबूबा शमां परवाना, मेम साहिब, चोर बाजार जैसी फिल्मों में काम किया। शम्मी कपूर को बड़ी सफलता फिल्मिस्तान की नासिर हुसैन निर्देशित तुम सा नहीं देखा, दिल देकर देखो के साथ मिली। 1959 में आई फिल्म में शम्मी कपूर ने खुशमिजाज और स्टाइलिश प्लेबॉय की इमेज बनाई थी।
इसके साथ ही 1961 में रिलीज हुई जंगली के बाद तो वह इंडस्ट्री में ‘याहू’ बॉय के रूप में छा गए। पर्दे पर गंभीर दिखने वाले शम्मी कपूर वास्तव में मस्तमौला इंसान थे और अक्सर एकदम अलग हटकर की गई एक्टिंग से दर्शकों के बीच छा जाते थे। शम्मी कपूर ने अभिनेत्री गीता बाली से 1955 में शादी कर ली थी। लेकिन बाली की मृत्यु महज 35 वर्ष की आयु में हो गई। इसके चार साल बाद कपूर ने भावनगर राज्य के गोहिल राजवंश की राजकुमारी नीला देवी गोहिल से शादी की।
साल 2011 में दिए गए एक इंटरव्यू में मुमताज ने कहा था ब्रह्मचारी की शूटिंग के दौरान करीब आने के बाद शम्मी कपूर ने उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया था। मुमताज ने कहा कि उन्होंने इसे ना कर दिया, क्योंकि कपूर चाहते थे कि वह अपना करियर छोड़ दें। मुमताज ने एक इंटरव्यू में बताया कि कपूर की मृत्यु से कुछ महीने पहले ही वह उनसे एक पार्टी में मिली थीं। वह शराब पी रहे थे। जब उसने पूछा कि वह शराब क्यों पी रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि उनके पास जीने के लिए केवल कुछ महीने ही हैं। कपूर क्रोनिक किडनी फेल्योर से पीड़ित थे। उनका निधन 14 अगस्त 2011 को हो गया।
–आईएएनएस
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