नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। डॉक्टरों ने मंगलवार को कहा कि 20-40 साल की युवा महिलाओं में स्तन कैंसर की घटनाएं काफी बढ़ रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं को प्रभावित करने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। 2020 में 20 लाख से ज्यादा महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चला और 6 लाख से अधिक मरीजों की जान चली गई।
स्तन कैंसर जागरूकता पर हाल ही में एक वेबिनार के दौरान फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल की मेडिकल ऑन्कोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ सफलता बाघमार ने कहा, ”स्तन कैंसर महिलाओं में पाए जाने वाले सबसे आम प्रकार के कैंसर के रूप में हेल्थ चार्ट में सबसे ऊपर है और हाल के दिनों में इसकी घटनाएं बढ़ी हैं। समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए स्तन कैंसर के शुरुआती चेतावनी संकेतों को पहचानना महत्वपूर्ण है। नई गांठें, स्तन की बनावट में बदलाव, त्वचा की अनियमितताएं, निपल से जुड़ी समस्याएं, निपल से खून आने जैसे बदलावों पर नजर रखें।”
डॉ. बाघमार ने कहा, ”यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये लक्षण गैर-कैंसरजन्य स्थितियों से भी जुड़े हो सकते हैं। इसलिए, जब संदेह हो, तो शीघ्र पता लगाने और मन की शांति के लिए पेशेवर मार्गदर्शन लें।
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च की नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट के अनुसार, ”भारत में स्तन कैंसर महिलाओं में कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है। 2020 में, भारत में दो लाख से अधिक महिलाओं में स्तन कैंसर का निदान होने का अनुमान लगाया गया था और अनुमान के अनुसार 76,000 से अधिक मौतें हुईं।”
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में यह संख्या बढ़कर 2.3 लाख से अधिक होने की संभावना है।
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल में ऑन्कोलॉजी के प्रमुख सलाहकार और स्तन केंद्र के प्रमुख डॉ. रोहन खंडेलवाल ने आईएएनएस को बताया, ”भारत में, स्तन कैंसर की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विशेष रूप से 20 के दशक के अंत और 30 के दशक की शुरुआत में युवा भारतीय महिलाओं में।
भारत में, स्तन कैंसर सर्वाइकल और ओरल कैविटी कैंसर को पीछे छोड़ते हुए सबसे आम कैंसर और कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण बन गया है। अध्ययनों से संकेत मिलता है कि 2030 तक स्तन कैंसर का वैश्विक बोझ दोगुना होने की संभावना है। 20 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को शीघ्र पता लगाने के लिए नियमित स्तन जांच कराने की सलाह दी जाती है।”
बेहतर इलाज के लिए शीघ्र पता लगाना महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों के अनुसार, स्तन कैंसर के 60 प्रतिशत मामलों का निदान आमतौर पर एडवांस स्टेज में किया जाता है, जिससे इलाज की दर कम हो जाती है। फिर भी, नियमित जांच से इलाज की दर 80-90 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
कोच्चि के अमृता अस्पताल में रेडियोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी आर ने कहा कि किशोरों और 20 से 30 वर्ष की आयु के लोगों के लिए, अल्ट्रासाउंड प्रारंभिक इमेजिंग विकल्प है, इसके बाद अगर आवश्यक हो तो मैमोग्राफी की जाती है। उन्होंने कहा, ”30-40 वर्ष की महिलाएं मैमोग्राफी के साथ अल्ट्रासाउंड का विकल्प चुन सकती हैं। कंट्रास्ट-एन्हांस्ड मैमोग्राफी (सीईएम) प्रारंभिक पहचान के लिए एक एडवांस तकनीक है, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों में। यह टेक्नोलॉजी एक प्रकार का प्रॉब्लम सॉल्वर है, और यहां तक कि कीमोथेरेपी प्रतिक्रिया मूल्यांकन के चरण और बाद में भी मदद करती है।”
उन्होंने कहा, “अगर मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड और सीईएम में कुछ भी अनिर्णायक है, तो हमारे पास स्तन एमआरआई के साथ जाने का विकल्प है।”
डॉक्टरों ने हृदय-स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, पौष्टिक खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करने और गतिहीन जीवन शैली के बजाय दैनिक शारीरिक गतिविधि को प्राथमिकता देने की भी सलाह दी।
–आईएएनएस
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