कोलकाता, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य, जो नौकरी के बदले नकद मामले में कथित संलिप्तता के कारण पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं, को सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में और भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूएफसी) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ की खंडपीठ को सूचित किया कि भट्टाचार्य को अवैध रूप से कोलकाता स्थित जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था।
यूजीसी के इस खुलासे ने तृणमूल कांग्रेस के बजाय पिछले वाम मोर्चा शासन के लिए शर्मिंदगी पैदा कर दी, क्योंकि भट्टाचार्य की लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में नियुक्ति 1998 में की गई थी, जब पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा का शासन था।
यूजीसी ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने निर्देश पर एक हलफनामा दाखिल कर यह खुलासा किया है।
हलफनामे में यूजीसी ने बताया है कि भट्टाचार्य किसी भी कॉलेज के प्रिंसिपल बनने के लिए जरूरी किसी भी मानदंड को पूरा नहीं करते। पहला मानदंड पीएचडी या समकक्ष योग्यता के साथ स्नातकोत्तर स्तर पर न्यूनतम 66 प्रतिशत अंक हासिल करना है।
किसी व्यक्ति को कॉलेज प्रिंसिपल के रूप में नियुक्ति के लिए तभी पात्र माना जाता है, यदि उसके पास किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय या समकक्ष उच्च शिक्षा संस्थान में कम से कम 15 साल का शिक्षण का अनुभव हो।
–आईएएनएस
एसजीके
कोलकाता, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य, जो नौकरी के बदले नकद मामले में कथित संलिप्तता के कारण पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं, को सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में और भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूएफसी) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ की खंडपीठ को सूचित किया कि भट्टाचार्य को अवैध रूप से कोलकाता स्थित जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था।
यूजीसी के इस खुलासे ने तृणमूल कांग्रेस के बजाय पिछले वाम मोर्चा शासन के लिए शर्मिंदगी पैदा कर दी, क्योंकि भट्टाचार्य की लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में नियुक्ति 1998 में की गई थी, जब पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा का शासन था।
यूजीसी ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने निर्देश पर एक हलफनामा दाखिल कर यह खुलासा किया है।
हलफनामे में यूजीसी ने बताया है कि भट्टाचार्य किसी भी कॉलेज के प्रिंसिपल बनने के लिए जरूरी किसी भी मानदंड को पूरा नहीं करते। पहला मानदंड पीएचडी या समकक्ष योग्यता के साथ स्नातकोत्तर स्तर पर न्यूनतम 66 प्रतिशत अंक हासिल करना है।
किसी व्यक्ति को कॉलेज प्रिंसिपल के रूप में नियुक्ति के लिए तभी पात्र माना जाता है, यदि उसके पास किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय या समकक्ष उच्च शिक्षा संस्थान में कम से कम 15 साल का शिक्षण का अनुभव हो।
–आईएएनएस
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