नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक इन दिनों अपने वेतन को लेकर चिंतित हैं। शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी की ओर से अनुदान में देरी हुई है। इसके कारण विश्वविद्यालय के शिक्षक व अन्य कर्मचारी अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा के मुताबिक ऐसी स्थिति में शिक्षकों का जीवन निर्वाह मुश्किल हो गया है, डूटा का कहना है यूजीसी को तत्काल इसपर ध्यान देने की जरुरत है।
डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने बताया कि कॉलेजों का लेखा जोखा वार्षिक अनुमानित बजट के द्वारा यूजीसी को जमा किया जाता है। लेकिन फिर भी अनुदान समय पर जारी नहीं किया जा रहा है। इसके साथ दीर्घकाल से लंबित प्रमोशन और भारत सरकार के मिशन मोड में स्थाई नियुक्ति के निर्देश से जो व्यय में वृद्धि हुई है उसका ब्योरा भी यूजीसी को जमा कर दिया गया है। साथ ही स्थाई नियुक्ति के सेवा लाभ जैसे पीएचडी इंक्रीमेंट और न्यू पेंशन योजना के कारण भी व्यय में वृद्धि हुई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रिंसीपल एसोसिएशन (डीयूपीए) की संयुक्त बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और दिल्ली सरकार की ओर से अपर्याप्त और विलंब से अनुदान जारी होने पर चिंता और क्षोभ व्यक्त किया गया। डूटा का कहना है कि इस संयुक्त बैठक में यह राय बनी है कि कालेजों द्वारा यूजीसी को जमा किए गए अनुमानित और अनुमोदित बजट के आधार पर पहले की तरह तिमाही अनुदान जारी किया जाए।
बैठक में गौर किया गया कि यूजीसी द्वारा पिछले दस सालों में कॉलेजों को दी गई ग्रांट की जानकारी लेना भी अनावश्यक अनिश्चितता उत्पन्न कर रहा है। हर साल कॉलेज यू जी सी से संस्तुत और डीयू से अनुमोदित कर्मियों की सूची और वार्षिक ऑडिट अकाउंट के साथ आय व्यय के समुचित ब्यौरे जमा कराते रहे हैं और ये यूजीसी के पास उपलब्ध हैं। यह भी स्पष्ट है कि कॉलेजों में स्वीकृत पदों पर सक्षम अधिकारी के रोस्टर अनुमोदन के बाद ही उचित प्रक्रिया के तहत ही स्थाई नियुक्ति की जा रहीं हैं।
डूटा और प्रिंसीपल एसोसिएशन की मांग है कि समय पर समुचित अनुदान प्रदान कराने के लिए भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय इसमें हस्तक्षेप करें। बैठक में डूटा अध्यक्ष प्रो.एके भागी व प्रिंसिपल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. जसविंदर सिंह के साथ डॉ.सुरेंद्र सिंह व प्रो. मनोज सिन्हा भी प्रमुख रूप से शामिल हुए।
डूटा और प्रिंसीपल एसोसिएशन ने दिल्ली सरकार के पूर्ण रूप से वित्त पोषित बारह कॉलेजों के वित्तीय रूप से प्रभावित होने पर भी चर्चा की। डूटा और प्रिंसीपल एसोसिएशन ने अनुदान जारी करने के उस तौर तरीके की आलोचना भी की जिसके कारण इन कॉलेजों की सामान्य दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। डूटा और प्रिंसिपल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री से पूर्ण अनुदान देने, शिक्षक और कर्मचारी पदों की स्वीकृति के साथ तुरंत शिक्षक और कर्मचारी पदों पर भर्ती शुरु करने की मांग भी की है।
–आईएएएस
जीसीबी/एबीएम
नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक इन दिनों अपने वेतन को लेकर चिंतित हैं। शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी की ओर से अनुदान में देरी हुई है। इसके कारण विश्वविद्यालय के शिक्षक व अन्य कर्मचारी अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा के मुताबिक ऐसी स्थिति में शिक्षकों का जीवन निर्वाह मुश्किल हो गया है, डूटा का कहना है यूजीसी को तत्काल इसपर ध्यान देने की जरुरत है।
डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने बताया कि कॉलेजों का लेखा जोखा वार्षिक अनुमानित बजट के द्वारा यूजीसी को जमा किया जाता है। लेकिन फिर भी अनुदान समय पर जारी नहीं किया जा रहा है। इसके साथ दीर्घकाल से लंबित प्रमोशन और भारत सरकार के मिशन मोड में स्थाई नियुक्ति के निर्देश से जो व्यय में वृद्धि हुई है उसका ब्योरा भी यूजीसी को जमा कर दिया गया है। साथ ही स्थाई नियुक्ति के सेवा लाभ जैसे पीएचडी इंक्रीमेंट और न्यू पेंशन योजना के कारण भी व्यय में वृद्धि हुई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रिंसीपल एसोसिएशन (डीयूपीए) की संयुक्त बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और दिल्ली सरकार की ओर से अपर्याप्त और विलंब से अनुदान जारी होने पर चिंता और क्षोभ व्यक्त किया गया। डूटा का कहना है कि इस संयुक्त बैठक में यह राय बनी है कि कालेजों द्वारा यूजीसी को जमा किए गए अनुमानित और अनुमोदित बजट के आधार पर पहले की तरह तिमाही अनुदान जारी किया जाए।
बैठक में गौर किया गया कि यूजीसी द्वारा पिछले दस सालों में कॉलेजों को दी गई ग्रांट की जानकारी लेना भी अनावश्यक अनिश्चितता उत्पन्न कर रहा है। हर साल कॉलेज यू जी सी से संस्तुत और डीयू से अनुमोदित कर्मियों की सूची और वार्षिक ऑडिट अकाउंट के साथ आय व्यय के समुचित ब्यौरे जमा कराते रहे हैं और ये यूजीसी के पास उपलब्ध हैं। यह भी स्पष्ट है कि कॉलेजों में स्वीकृत पदों पर सक्षम अधिकारी के रोस्टर अनुमोदन के बाद ही उचित प्रक्रिया के तहत ही स्थाई नियुक्ति की जा रहीं हैं।
डूटा और प्रिंसीपल एसोसिएशन की मांग है कि समय पर समुचित अनुदान प्रदान कराने के लिए भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय इसमें हस्तक्षेप करें। बैठक में डूटा अध्यक्ष प्रो.एके भागी व प्रिंसिपल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. जसविंदर सिंह के साथ डॉ.सुरेंद्र सिंह व प्रो. मनोज सिन्हा भी प्रमुख रूप से शामिल हुए।
डूटा और प्रिंसीपल एसोसिएशन ने दिल्ली सरकार के पूर्ण रूप से वित्त पोषित बारह कॉलेजों के वित्तीय रूप से प्रभावित होने पर भी चर्चा की। डूटा और प्रिंसीपल एसोसिएशन ने अनुदान जारी करने के उस तौर तरीके की आलोचना भी की जिसके कारण इन कॉलेजों की सामान्य दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। डूटा और प्रिंसिपल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री से पूर्ण अनुदान देने, शिक्षक और कर्मचारी पदों की स्वीकृति के साथ तुरंत शिक्षक और कर्मचारी पदों पर भर्ती शुरु करने की मांग भी की है।
–आईएएएस
जीसीबी/एबीएम