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यूपी के गांवों की सड़क की लाइफ लंबी बनाने की हो रही निगरानी

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April 3, 2023
in राष्ट्रीय
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यूपी के गांवों की सड़क की लाइफ लंबी बनाने की हो रही निगरानी
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लखनऊ, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। यूपी सरकार की ओर से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) के जरिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की मॉनीटरिंग हो रही है। पीएमजीएसवाई को रफ्तार देने के लिए जीपीएस लैस वीटीएस को अपनाने के लिए विभाग को निर्देश दिये थे ताकि गांवों की सड़कों की लाइफ लंबी हो और इसकी लागत काफी कम हो।

विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

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उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

–आईएएनएस

विकेटी/एएनएम

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लखनऊ, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। यूपी सरकार की ओर से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) के जरिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की मॉनीटरिंग हो रही है। पीएमजीएसवाई को रफ्तार देने के लिए जीपीएस लैस वीटीएस को अपनाने के लिए विभाग को निर्देश दिये थे ताकि गांवों की सड़कों की लाइफ लंबी हो और इसकी लागत काफी कम हो।

विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। यूपी सरकार की ओर से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) के जरिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की मॉनीटरिंग हो रही है। पीएमजीएसवाई को रफ्तार देने के लिए जीपीएस लैस वीटीएस को अपनाने के लिए विभाग को निर्देश दिये थे ताकि गांवों की सड़कों की लाइफ लंबी हो और इसकी लागत काफी कम हो।

विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

–आईएएनएस

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विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

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विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

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विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

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लखनऊ, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। यूपी सरकार की ओर से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) के जरिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की मॉनीटरिंग हो रही है। पीएमजीएसवाई को रफ्तार देने के लिए जीपीएस लैस वीटीएस को अपनाने के लिए विभाग को निर्देश दिये थे ताकि गांवों की सड़कों की लाइफ लंबी हो और इसकी लागत काफी कम हो।

विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

–आईएएनएस

विकेटी/एएनएम

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लखनऊ, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। यूपी सरकार की ओर से व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) के जरिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की मॉनीटरिंग हो रही है। पीएमजीएसवाई को रफ्तार देने के लिए जीपीएस लैस वीटीएस को अपनाने के लिए विभाग को निर्देश दिये थे ताकि गांवों की सड़कों की लाइफ लंबी हो और इसकी लागत काफी कम हो।

विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

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विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

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विभाग गांवों की सड़क बनाने में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। उत्तर प्रदेश इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग की यह तकनीक पूरे देश में मॉडल के रूप में उभरी है।

उप्र ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के निदेशक भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब तक पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कों को बनाने में प्रयोग में लाई जा रहे करीब 950 से अधिक उपकरण और मशीनरी पर जीपीएस आधारित वीटीएस को लगाया जा चुका है। वहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए यूपीआरआरडीए में सेंट्रल कमांड सेंटर की स्थापना की गई है, जहां से पल-पल की जानकारी अपडेट होती है जैस किस साइट पर कौन सी मशीन से काम किया गया, कितने घंटे काम किया गया, किए गए काम की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, निश्चित समय सीमा के तहत काम हो रहा है या नहीं आदि। यह डिवाइस पूरी तरह से मेड इन इंडिया है, जो एम्बेडेड सिम और आंतरिक एंटीना के साथ एमटी 6260 चिपसेट से लैस है। डिवाइस आईपी65 रेटिंग के साथ आती है और बैटरी ऑफलाइन मोड में 6 से 8 घंटे का बैकअप देती है। इस डिवाइस से वाहन, स्थानों को ट्रैक करने, एकत्र करने और नियंत्रित करने में काफी सफलता मिली है। यह डिवाइस एक वेब एप्लिकेशन पर आधारित है, जो वाहन के स्थान की डिटेल, जगह, निष्क्रिय समय, चौकियों आदि की पहचान करती है।

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