लखनऊ, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने विभागों और एजेंसियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उसकी लखनऊ खंडपीठ में प्रतिनिधित्व करने के लिए निजी वकीलों को नियुक्त करने से रोक दिया है। केवल अपरिहार्य परिस्थितियों में ही निजी वकीलों की सेवा ली जा सकती है।
एक आदेश में विशेष सचिव (न्याय विभाग) इंद्रजीत सिंह ने कहा कि निजी वकीलों की नियुक्ति से न केवल सरकारी खजाने पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता है, बल्कि सरकारी वकीलों की छवि भी प्रभावित होती है।
सिंह ने कहा कि अब से केवल अपरिहार्य परिस्थितियों में निजी वकील को नियुक्त किया जाएगा।
कुछ दिनों पहले महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि उच्च न्यायालय और विशेष रूप से लखनऊ खंडपीठ में निजी वकीलों को नियुक्त करने की प्रथा हाल के दिनों में बढ़ी है।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यह देखा गया है कि साधारण मामलों में भी विशेष निजी वकीलों को नियुक्त किया जा रहा है, जिन पर उच्च न्यायालय में पहले से नियुक्त राज्य के कानून अधिकारी बहस कर सकते हैं।
मिश्रा ने पत्र में कहा, निजी वकीलों की इस तरह की अनावश्यक नियुक्ति से सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है। पत्र को संज्ञान में लेते हुए सरकार ने उपरोक्त फैसला किया।
–आईएएनएस
सीबीटी