लखनऊ, 3 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में सोमवार को काफी गहमागहमी देखने को मिली। समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने विश्वविद्यालयों में कार्य परिषद के चुनाव नहीं कराए जाने तथा कुलपतियों की नियुक्तियों में पीडीए वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने के विरोध में सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉक-आउट कर दिया।
इससे पूर्व सपा की सदस्य डॉ. रागिनी सोनकर ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर अपने सवाल का सही जवाब नहीं देने पर पूरे प्रश्न काल के लिए सदन से वाकआउट किया। सपा सदस्यों ने बजट पर चर्चा नहीं कराए जाने के विरोध में वेल में आकर धरना देकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
सपा सदस्यों का कहना था कि सरकार बिना चर्चा के विभागीय बजट पास कराकर मनमानी कर रही है। बाद में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के आग्रह पर सभी सदस्य अपने आसन पर जाने को राजी हुए।
शून्य प्रहर में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य संग्राम सिंह यादव ने विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में पिछड़ों, दलितों की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दस सालों से विश्वविद्यालयों में कार्य परिषद के चुनाव नहीं कराए गए हैं। कुलपतियों की नियुक्ति में पीडीए वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से इस वर्ग के लोगों में खासी नाराजगी है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 30 विश्वविद्यालयों में 22 में एक ही वर्ग के लोगों को कुलपति नियुक्त किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नियुक्तियों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। योग्य उम्मीदवारों को मौका नहीं दिया जा रहा है। वरिष्ठता सूची को दरकिनार कर मनमाने तौर पर लोगों को नियुक्त किया जा रहा है।
उन्होंने एक विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके ऊपर सरकार की खास मेहरबानी है। सपा के दूसरे सदस्य डॉ. आरके वर्मा ने भी इसी मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय सहित 24 राज्यों में नियुक्तियों में अनदेखी की जा रही है। कुलाधिपति ने जिस सहायक प्रोफेसर का पदावनत करने का आदेश दिया, उसे लखनऊ विश्वविद्यालय ने प्रोन्नति दे दी। इसके अलावा भी लखनऊ विश्वविद्यालय में नियमों की अनदेखी की जा रही है। इसके अलावा शिक्षकों के खिलाफ द्वेष भावना से कार्रवाई की जा रही है।
जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने जो आरोप लगाए गए हैं, वे निराधार हैं। कुलपतियों की नियुक्तियां कुलाधिपति करते हैं। उनकी नियुक्तियों में पीडीए को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। कुलपतियों की नियुक्तियों में आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। कार्य परिषद का चुनाव कराने के लिए पूर्व में लिखा जा चुका है।
उच्च शिक्षा मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्ष सदन से बाहर निकल गया।
इससे पूर्व प्रश्न प्रहर में सपा की सदस्य डॉ. रागिनी सोनकर ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर स्वास्थ्य संबंधी सवाल का सही जवाब नहीं देने और सपा नेतृत्व पर अमर्यादित टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए पूरे प्रश्न काल के लिए सदन से वॉकआउट किया।
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय सहित सपा के एक अन्य सदस्य ने छुट्टा गोवंशों से फसलों के होने वाले नुकसान और निराश्रित गोवंशों का मामला उठाया। सपा सदस्यों ने कहा कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद गायों की स्थिति मरणासन्न हो रही है।
पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि निराश्रित गोवंश छुट्टा नहीं छोड़े गए हैं। निराश्रित गोवंशों की देखभाल और उनके रखरखाव के लिए सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके लिए प्रभारी अधिकारियों की नियुक्ति की जा चुकी है। बजट में निराश्रित गोवंशों के लिए दो हजार करोड़ की व्यवस्था है। सपा की सरकार में कसाई को देखकर गाय कांपती थी, अब समय बदला है, गाय को देखकर कसाई कांप रहे हैं।
प्रश्न काल के दौरान सपा विधायक महबूब अली के प्रश्न का उत्तर देते हुए पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि एचएमपीवी वायरस को लेकर सदस्य की चिंता से पहले हमारी सरकार ने चिंता की है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक करके सारी व्यवस्थाओं को लेकर जानकारी ली और दिशा निर्देश भी दिए हैं। हम प्रदेश में पैनिक नहीं होने देना चाहते हैं। प्रदेश के सारे जिलों में इलाज के पुख्ता इंतजाम कर लिए गए हैं।
–आईएएनएस
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