देहरादून, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने को लेकर बयानबाजियों का दौर जारी है। इसी बीच, मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने यूसीसी को जरूरी बताते हुए कहा कि यह किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी धर्मों के हित में है।
मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि यूसीसी का प्रदेश में लागू होना अत्यंत आवश्यक है। इस कानून के लागू होने से मुस्लिम समुदाय को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है। उनका मानना है कि जो नियम और कायदे बनाए जा रहे हैं, वह सभी धर्मों के हित में है। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त कुप्रथाएं, जैसे तीन तलाक और एक से अधिक शादियां, को हटाना बहुत जरूरी है। यूसीसी के लागू होने से सभी धर्मों को इसका लाभ मिलेगा और समाज में समानता एवं सम्मान की भावना बढ़ेगी।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कासमी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 60 साल तक मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखा है, और उनके वास्तविक हितों की रक्षा नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को अनपढ़ रखने का प्रयास किया, जिससे वह मुख्यधारा से कट गए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यूसीसी इस्लाम के खिलाफ नहीं है। इसका कोई भी कानून इस्लाम के सिद्धांतों से टकराता नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यूसीसी के लागू होने से महिलाओं को सम्मान और बराबरी मिलेगी, और यह सभी समुदायों के लिए लाभकारी साबित होगा।
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने एक धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड को समय की मांग बताया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी बार-बार समान नागरिक संहिता पर चर्चा कर रहा है। उसने कई बार आदेश भी दिए हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था, “मैं चाहता हूं कि इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो, सभी अपने विचार लेकर आएं। जो कानून देश को धर्म के आधार पर बांटता है, समाज में भेदभाव की वजह बनता है, ऐसे कानून का समाज में कोई स्थान नहीं है, और इसलिए मैं कहूंगा और समाज की मांग है कि देश में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।”
–आईएएनएस
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