लखनऊ, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को शिरोमणि अकाली दल-शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रतिनिधिमंडल द्वारा उनके संज्ञान में लाए गए सिख समुदाय के सभी लंबित मुद्दों को हल करने का आश्वासन दिया।
उन्होंने 2014 में सहारनपुर गुरुद्वारा संघर्ष के संबंध में सिखों के खिलाफ सभी लंबित मामलों को वापस लेने का भी वादा किया।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन दिया। शिअद के वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा और एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
बादल ने मीडिया को बताया कि सिखों के कल्याण से संबंधित सभी मुद्दों के बारे में सीधे प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए विभिन्न विभागों के संबंधित अधिकारियों के साथ सकारात्मक माहौल में बैठक की गई।
बादल ने लंबित मामलों को हल करने में विशेष रुचि लेने के लिए आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया और कहा कि यह उत्तर प्रदेश में सिख समुदाय के मनोबल को बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
बादल ने कहा कि खेती वाली जमीनों से सिखों के विस्थापन को 2020 में शिअद प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर आदित्यनाथ के हस्तक्षेप से रोका गया था।
यूपी के मुख्यमंत्री ने धैर्यपूर्वक सुनने के बाद घोषणा की कि वह उत्तर प्रदेश में किसी भी सिख किसान या पंजाबी को पीड़ित नहीं होने देंगे।
उन्होंने अकाली दल अध्यक्ष की इस बात से सहमति जताई कि सिख किसानों ने अपनी जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए अपने खून-पसीने की कीमत चुकाई है। मुख्यमंत्री ने राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख को सभी मामलों की जांच करने को कहा, ताकि उन्हें सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जा सके। इन मामलों में मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ सर्कल में सिख किसानों को बेदखली नोटिस जारी किया जाना शामिल है।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि 2014 में सहारनपुर में एक गुरुद्वारे की भूमि को लेकर दो समुदायों के बीच संघर्ष से संबंधित कुछ मामले अभी भी अनसुलझे हैं।
इसने कहा कि झड़प के बाद दोनों समुदायों के प्रमुख सदस्यों के बीच मध्यस्थता की गई और यह निर्णय लिया गया कि दोनों समुदायों के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेंगे।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि कुछ मामले वापस ले लिए गए, कुछ मामले बने रहे और इस मुद्दे को हल करने के लिए मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की मांग की, जिस पर आदित्यनाथ सहमत हुए।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को 1991 के पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ मामले के बारे में भी अवगत कराया, जिसमें पीएसी कर्मियों द्वारा एक तीर्थयात्री बस को रोके जाने और पुरुष सदस्यों को उनके परिवारों से अलग किए जाने के बाद हुईं तीन अलग-अलग मुठभेड़ों में 10 सिख मारे गए थे।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मामले में 43 पीएसी कर्मियों को उम्रकैद और सात साल की सजा सुनाई थी।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सिख समुदाय को लगा कि इस मामले में अनुकरणीय सजा दी जानी चाहिए, क्योंकि निर्दोष लोगों को आतंकवादी बताकर उनकी हत्या कर दी गई। इसने उत्तर प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने न्याय की बात कहते हुए मामले को सहानुभूतिपूर्वक देखने का आश्वासन दिया।
–आईएएनएस
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