नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में एक साथ जोड़ी गई तीन शिकायतों को वापस लेने की राज्य पुलिस की अर्जी खारिज कर दी है।
कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला की अदालत दयालपुर थाने में 11 आरोपियों के खिलाफ दर्ज एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
न्यायाधीश ने कहा कि जब मामला आरोप पत्र आधारित है तो अंतिम रिपोर्ट के विपरीत रुख अपनाने वाली कोई भी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
अदालत ने कहा, “मेरी राय में, जब अभियोजन आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र पर आधारित होता है, तो आरोप पत्र में अभियोजन द्वारा अपनाए गए रुख के विपरीत रुख अपनाने वाला कोई भी आवेदन सुनवाई योग्य नहीं हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा तीन शिकायतें वापस लेने के लिए दिए गए आवेदन पर दी गई दलीलों को मामले में जोड़ दिया गया था।
अदालत ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) से आवेदन की विचारणीयता के संबंध में पूछा, जिसे जांच अधिकारी (आईओ) ने मामले में शामिल की गई तीन शिकायतों को वापस लेने के लिए दायर किया था।
जवाब में एसपीपी ने कहा कि आदेश कानून के मुताबिक पारित किया जा सकता है।
अदालत ने कहा, “इस तरह के आवेदन को औपचारिक दस्तावेज़ में अभियोजन पक्ष द्वारा उठाए गए अंतिम रुख के आधार पर ही बनाए रखा जा सकता है, यानी जांच की अंतिम रिपोर्ट, जिसे आरोप पत्र के रूप में जाना जाता है। इसलिए, इस आवेदन को खारिज किया जाना चाहिए।”
इसके अलावा, मामले के दो आईओ को अदालत ने यह कहते हुए तलब किया कि दिल्ली पुलिस आयुक्त ने दिल्ली दंगों के मामलों में आरोप के बिंदु पर सुनवाई के दौरान आईओ को अदालत में उपस्थित रहने के निर्देश पहले ही जारी कर दिया था।
अब मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होनी है।
–आईएएनएस
एकेजे
नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में एक साथ जोड़ी गई तीन शिकायतों को वापस लेने की राज्य पुलिस की अर्जी खारिज कर दी है।
कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला की अदालत दयालपुर थाने में 11 आरोपियों के खिलाफ दर्ज एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
न्यायाधीश ने कहा कि जब मामला आरोप पत्र आधारित है तो अंतिम रिपोर्ट के विपरीत रुख अपनाने वाली कोई भी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
अदालत ने कहा, “मेरी राय में, जब अभियोजन आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र पर आधारित होता है, तो आरोप पत्र में अभियोजन द्वारा अपनाए गए रुख के विपरीत रुख अपनाने वाला कोई भी आवेदन सुनवाई योग्य नहीं हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा तीन शिकायतें वापस लेने के लिए दिए गए आवेदन पर दी गई दलीलों को मामले में जोड़ दिया गया था।
अदालत ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) से आवेदन की विचारणीयता के संबंध में पूछा, जिसे जांच अधिकारी (आईओ) ने मामले में शामिल की गई तीन शिकायतों को वापस लेने के लिए दायर किया था।
जवाब में एसपीपी ने कहा कि आदेश कानून के मुताबिक पारित किया जा सकता है।
अदालत ने कहा, “इस तरह के आवेदन को औपचारिक दस्तावेज़ में अभियोजन पक्ष द्वारा उठाए गए अंतिम रुख के आधार पर ही बनाए रखा जा सकता है, यानी जांच की अंतिम रिपोर्ट, जिसे आरोप पत्र के रूप में जाना जाता है। इसलिए, इस आवेदन को खारिज किया जाना चाहिए।”
इसके अलावा, मामले के दो आईओ को अदालत ने यह कहते हुए तलब किया कि दिल्ली पुलिस आयुक्त ने दिल्ली दंगों के मामलों में आरोप के बिंदु पर सुनवाई के दौरान आईओ को अदालत में उपस्थित रहने के निर्देश पहले ही जारी कर दिया था।
अब मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होनी है।
–आईएएनएस
एकेजे