नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ शुक्रवार को 62,700 करोड़ रुपये के दो बड़े अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारतीय वायुसेना (आईएएफ) और भारतीय सेना को 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) ‘प्रचंड’ की आपूर्ति की जाएगी।
इस धनराशि में कर शामिल नहीं हैं। इनमें से पहला अनुबंध भारतीय वायुसेना को 66 एलसीएच की आपूर्ति के लिए है, जबकि दूसरा अनुबंध भारतीय सेना को 90 एलसीएच की आपूर्ति हेतु किया गया है।
इन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति अनुबंध के तीसरे वर्ष से शुरू होगी और अगले पांच वर्षों तक जारी रहेगी। इस योजना से सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी, खासकर अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में। एलसीएच, प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जो पांच हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता रखता है।
इन हेलीकॉप्टरों में कई उपकरण भारत में डिजाइन और निर्मित किए गए हैं। इस अनुबंध के निष्पादन के दौरान 65 फीसदी से अधिक की स्वदेशी सामग्री का उपयोग करने की योजना है, जिसमें 250 से अधिक घरेलू कंपनियां शामिल होंगी। इनमें अधिकांश छोटे और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) होंगे। इस अनुबंध के परिणामस्वरूप 8,500 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों के अवसर सृजित होंगे, जो भारतीय रक्षा उद्योग और रोजगार बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।
इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के पायलटों को हवा में ईंधन भरने का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मेट्रिया मैनेजमेंट के साथ एक फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट (एफआरए) की वेट लीजिंग के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। मेट्रिया इस एयरक्राफ्ट (केसी135 विमान) को छह महीने के भीतर उपलब्ध कराएगा। यह भारतीय वायुसेना द्वारा लीज पर लिया जाने वाला पहला फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट होगा, जो विशेष रूप से हवा में ईंधन भरने की प्रक्रिया में प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
रक्षा मंत्रालय के इन तीन महत्वपूर्ण अनुबंधों के साथ ही वर्ष 2024-25 के दौरान हस्ताक्षरित अनुबंधों की कुल संख्या 193 तक पहुंच जाएगी। इन अनुबंधों का समग्र मूल्य 2,09,050 करोड़ रुपये से अधिक होगा, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है और पिछले उच्चतम आंकड़े से लगभग दोगुना है। इनमें से 177 (92 फीसदी) अनुबंध घरेलू उद्योग को दिए गए हैं, जिनका कुल अनुबंध मूल्य 1,68,922 करोड़ रुपये (81 फीसदी) है। यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और घरेलू उद्योग को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
–आईएएनएस
पीएसके/एकेजे