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Home Today's Special News

राजनाथ ने 75वें सेना दिवस पर सशस्त्र बलों की बहादुरी को किया याद

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January 15, 2023
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राजनाथ ने 75वें सेना दिवस पर सशस्त्र बलों की बहादुरी को किया याद
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नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को 1962, 1965, 1971, 1999 के युद्धों के दौरान सशस्त्र बलों की बहादुरी और गलवान और तवांग में हाल की घटनाओं को याद करते हुए कहा कि सेना के तीनों अंगों ने हमेशा दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि जवानों के जज्बे और बहादुरी ने न केवल दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि सभी भारतीयों के दिलों में विश्वास भी बढ़ाया है।

मंत्री ने यह बात बेंगलुरु में 75वें सेना दिवस के अवसर पर बोलते हुए कही और फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए कही।

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यह पहली बार था कि सेना दिवस राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया गया, ताकि लोगों, विशेषकर युवाओं की अपनी सेना को जानने में भागीदारी बढ़ाई जा सके।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी मजबूत सेना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।

उन्होंने कहा, चाहे वीरता, निष्ठा और अनुशासन हो या एचएडीआर में इसकी भूमिका, भारतीय सशस्त्र बल हमेशा देश के सबसे मजबूत और सबसे विश्वसनीय स्तंभों में से एक रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, वर्षों से समाज, राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। सुरक्षा चुनौतियों ने भी उस परिवर्तन को देखा है। न केवल वे समय के साथ विकसित हो रहे हैं, उस परिवर्तन की गति भी तेजी से बढ़ रही है। ड्रोन, अंडरवाटर ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित हथियारों का आज उपयोग किया जा रहा है। यह युग प्रौद्योगिकी का हो गया है। नवीनतम तकनीकी प्रगति ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है।

उन्होंने सशस्त्र बलों को अपनी क्षमताओं को और विकसित करने और यूक्रेनी संघर्ष सहित अन्य वैश्विक सुरक्षा परि²श्य से सीखे गए पाठों को लागू करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर की सेनाएं आधुनिकीकरण में लगी हुई हैं और नए विचारों, प्रौद्योगिकियों और उनके संगठनात्मक ढांचे पर काम कर रही हैं। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों से भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति और नीतियों पर काम करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, कल, परसों और अगले 25-30 वर्षों में काम करना अनिवार्य है। यह हमारी सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। आइए हम सब मिलकर एक विकसित और सुरक्षित भारत का निर्माण करें।

सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार का ध्यान हमेशा एक मजबूत और पुख्ता सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर रहा है और अब यह देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के कारण भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और एक पसंदीदा और विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है।

उन्होंने सेना को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों, प्रौद्योगिकियों से लैस करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और 2047 तक भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया।

उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सशस्त्र बल भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

–आईएएनएस

सीबीटी

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नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को 1962, 1965, 1971, 1999 के युद्धों के दौरान सशस्त्र बलों की बहादुरी और गलवान और तवांग में हाल की घटनाओं को याद करते हुए कहा कि सेना के तीनों अंगों ने हमेशा दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि जवानों के जज्बे और बहादुरी ने न केवल दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि सभी भारतीयों के दिलों में विश्वास भी बढ़ाया है।

मंत्री ने यह बात बेंगलुरु में 75वें सेना दिवस के अवसर पर बोलते हुए कही और फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए कही।

यह पहली बार था कि सेना दिवस राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया गया, ताकि लोगों, विशेषकर युवाओं की अपनी सेना को जानने में भागीदारी बढ़ाई जा सके।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी मजबूत सेना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।

उन्होंने कहा, चाहे वीरता, निष्ठा और अनुशासन हो या एचएडीआर में इसकी भूमिका, भारतीय सशस्त्र बल हमेशा देश के सबसे मजबूत और सबसे विश्वसनीय स्तंभों में से एक रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, वर्षों से समाज, राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। सुरक्षा चुनौतियों ने भी उस परिवर्तन को देखा है। न केवल वे समय के साथ विकसित हो रहे हैं, उस परिवर्तन की गति भी तेजी से बढ़ रही है। ड्रोन, अंडरवाटर ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित हथियारों का आज उपयोग किया जा रहा है। यह युग प्रौद्योगिकी का हो गया है। नवीनतम तकनीकी प्रगति ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है।

उन्होंने सशस्त्र बलों को अपनी क्षमताओं को और विकसित करने और यूक्रेनी संघर्ष सहित अन्य वैश्विक सुरक्षा परि²श्य से सीखे गए पाठों को लागू करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर की सेनाएं आधुनिकीकरण में लगी हुई हैं और नए विचारों, प्रौद्योगिकियों और उनके संगठनात्मक ढांचे पर काम कर रही हैं। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों से भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति और नीतियों पर काम करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, कल, परसों और अगले 25-30 वर्षों में काम करना अनिवार्य है। यह हमारी सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। आइए हम सब मिलकर एक विकसित और सुरक्षित भारत का निर्माण करें।

सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार का ध्यान हमेशा एक मजबूत और पुख्ता सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर रहा है और अब यह देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के कारण भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और एक पसंदीदा और विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है।

उन्होंने सेना को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों, प्रौद्योगिकियों से लैस करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और 2047 तक भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया।

उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सशस्त्र बल भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

–आईएएनएस

सीबीटी

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नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को 1962, 1965, 1971, 1999 के युद्धों के दौरान सशस्त्र बलों की बहादुरी और गलवान और तवांग में हाल की घटनाओं को याद करते हुए कहा कि सेना के तीनों अंगों ने हमेशा दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि जवानों के जज्बे और बहादुरी ने न केवल दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि सभी भारतीयों के दिलों में विश्वास भी बढ़ाया है।

मंत्री ने यह बात बेंगलुरु में 75वें सेना दिवस के अवसर पर बोलते हुए कही और फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए कही।

यह पहली बार था कि सेना दिवस राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया गया, ताकि लोगों, विशेषकर युवाओं की अपनी सेना को जानने में भागीदारी बढ़ाई जा सके।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी मजबूत सेना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।

उन्होंने कहा, चाहे वीरता, निष्ठा और अनुशासन हो या एचएडीआर में इसकी भूमिका, भारतीय सशस्त्र बल हमेशा देश के सबसे मजबूत और सबसे विश्वसनीय स्तंभों में से एक रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, वर्षों से समाज, राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। सुरक्षा चुनौतियों ने भी उस परिवर्तन को देखा है। न केवल वे समय के साथ विकसित हो रहे हैं, उस परिवर्तन की गति भी तेजी से बढ़ रही है। ड्रोन, अंडरवाटर ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित हथियारों का आज उपयोग किया जा रहा है। यह युग प्रौद्योगिकी का हो गया है। नवीनतम तकनीकी प्रगति ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है।

उन्होंने सशस्त्र बलों को अपनी क्षमताओं को और विकसित करने और यूक्रेनी संघर्ष सहित अन्य वैश्विक सुरक्षा परि²श्य से सीखे गए पाठों को लागू करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर की सेनाएं आधुनिकीकरण में लगी हुई हैं और नए विचारों, प्रौद्योगिकियों और उनके संगठनात्मक ढांचे पर काम कर रही हैं। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों से भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति और नीतियों पर काम करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, कल, परसों और अगले 25-30 वर्षों में काम करना अनिवार्य है। यह हमारी सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। आइए हम सब मिलकर एक विकसित और सुरक्षित भारत का निर्माण करें।

सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार का ध्यान हमेशा एक मजबूत और पुख्ता सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर रहा है और अब यह देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के कारण भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और एक पसंदीदा और विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है।

उन्होंने सेना को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों, प्रौद्योगिकियों से लैस करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और 2047 तक भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया।

उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सशस्त्र बल भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

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मंत्री ने यह बात बेंगलुरु में 75वें सेना दिवस के अवसर पर बोलते हुए कही और फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए कही।

यह पहली बार था कि सेना दिवस राष्ट्रीय राजधानी के बाहर आयोजित किया गया, ताकि लोगों, विशेषकर युवाओं की अपनी सेना को जानने में भागीदारी बढ़ाई जा सके।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपनी मजबूत सेना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।

उन्होंने कहा, चाहे वीरता, निष्ठा और अनुशासन हो या एचएडीआर में इसकी भूमिका, भारतीय सशस्त्र बल हमेशा देश के सबसे मजबूत और सबसे विश्वसनीय स्तंभों में से एक रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, वर्षों से समाज, राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। सुरक्षा चुनौतियों ने भी उस परिवर्तन को देखा है। न केवल वे समय के साथ विकसित हो रहे हैं, उस परिवर्तन की गति भी तेजी से बढ़ रही है। ड्रोन, अंडरवाटर ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित हथियारों का आज उपयोग किया जा रहा है। यह युग प्रौद्योगिकी का हो गया है। नवीनतम तकनीकी प्रगति ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है।

उन्होंने सशस्त्र बलों को अपनी क्षमताओं को और विकसित करने और यूक्रेनी संघर्ष सहित अन्य वैश्विक सुरक्षा परि²श्य से सीखे गए पाठों को लागू करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर की सेनाएं आधुनिकीकरण में लगी हुई हैं और नए विचारों, प्रौद्योगिकियों और उनके संगठनात्मक ढांचे पर काम कर रही हैं। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों से भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति और नीतियों पर काम करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, कल, परसों और अगले 25-30 वर्षों में काम करना अनिवार्य है। यह हमारी सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करेगा। आइए हम सब मिलकर एक विकसित और सुरक्षित भारत का निर्माण करें।

सिंह ने जोर देकर कहा कि सरकार का ध्यान हमेशा एक मजबूत और पुख्ता सुरक्षा तंत्र विकसित करने पर रहा है और अब यह देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती के कारण भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और एक पसंदीदा और विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है।

उन्होंने सेना को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों, प्रौद्योगिकियों से लैस करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और 2047 तक भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया।

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