मुंबई, 11 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भले ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार बच गई है, लेकिन इसने विश्वसनीयता और सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है।
राज्य एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि कैसे तत्कालीन राज्यपाल (भगत सिंह कोश्यारी) द्वारा लिए गए सभी फैसले गलत निकले।
उन्होंने कहा कि हालांकि राज्यपाल के कार्यों पर टिप्पणी करना उचित नहीं है, पूर्व राज्यपाल कोश्यारी नवंबर 2019 में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सत्ता में आने के पहले दिन से ही 24 घंटे इसी फिराक में लगे थे।
पाटिल ने कहा, चूंकि राज्यपाल के फैसले गलत हैं, शिंदे शिवसेना के व्हिप भरत गोगावाले को भी अमान्य कर दिया गया है, तो विधानमंडल में उनके द्वारा लिए गए सभी फैसले भी अमान्य हो जाएंगे।
राकांपा नेता ने कहा कि इन परिस्थितियों में अध्यक्ष (राहुल नरवेकर) को सीएम शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेते समय बिना देरी किए और विभिन्न बिंदुओं पर संवैधानिक ढांचे के भीतर काम करने की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा, शिंदे सरकार का बचे रहना उन लोगों के लिए केवल एक संक्षिप्त खुशी हो सकती है जो सत्ता के लिए उनके आसपास इकट्ठा हुए थे। लेकिन यह अवैध और असंवैधानिक है, और महाराष्ट्र में भाजपा की कार्रवाइयां फुस हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के लोगों को बताया है कि कैसे यह पूरा प्रकरण (एमवीए को गिराना) गड़बड़ा गया।
इस बिंदु का उल्लेख करते हुए कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो एमवीए को अदालत द्वारा बहाल करने का मौका मिल सकता था, पाटिल ने कहा कि यह साबित करता है कि एससी के दिमाग में क्या है, और राज्यपाल ने एमवीए सरकार को गिराने में एक अहम भूमिका निभाई।
पाटिल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भाजपा पूरी तरह से छिन्न-भिन्न हो गई है और राज्य के लोग मजबूती से एमवीए के साथ हैं।
–आईएएनएस
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