नई दिल्ली, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। बजट सत्र के दूसरे भाग के अवकाश के बाद राज्यसभा की कार्यवाही फिर से शुरु हुई, लेकिन संसद का ऊपरी सदन ठीक से नहीं चल पा रहा है और यहां तक कि वित्त विधेयक भी बिना किसी चर्चा के पारित हो गया।
अडानी समूह पर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष और सरकार आमने-सामने हैं, जहां विपक्ष इस मुद्दे की जांच के लिए जेपीसी की स्थापना की मांग कर रहा है, जबकि सरकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनकी यूके यात्रा के दौरान की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग कर रहा है। बुधवार को भी सदन ठीक से नहीं चल पाया।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओब्रायन ने रविवार को सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि भाजपा सांसद संसद को बाधित कर रहे हैं और राज्यसभा ने इस सत्र में रोजाना औसतन 20 मिनट काम किया है (ऑस्कर विजेताओं को बधाई देने में लगने वाले समय को छोड़कर), उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार घोटाले, मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, एजेंसियों के दुरुपयोग पर चर्चा से भागना चाहती है।
बुधवार को उन्होंने ट्वीट किया, गंभीर, बहुत गंभीर, संसद की तबाही हो रही है। सत्तारूढ़ दल के सांसद नारेबाजी कर रहे हैं, संसद को पूरा सत्र नहीं चलने दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह आगे क्या?
विपक्षी सांसद कामकाज के निलंबन के लिए रोजाना नोटिस दे रहे हैं, लेकिन पीठासीन अधिकारी द्वारा हर दिन इन्हें खारिज किया जा रहा है और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस प्रवृत्ति की आलोचना की है। उन्होंने कहा- पीठासीन अधिकारियों से निष्पक्ष और गैर-पक्षपातपूर्ण होने की उम्मीद की जाती है। वह सत्तारूढ़ दल के प्रति अपनी वफादारी को प्रदर्शित नहीं कर सकते। उन्हें अपने कार्यों से सम्मान प्राप्त करना चाहिए न कि धर्मोपदेशों के कभी न खत्म होने वाले प्रवाह से सम्मान मांगना चाहिए।
इसी तरह कांग्रेस सदस्य राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से लोकसभा की कार्यवाही ठप पड़ी है और स्थिति और भी खराब हो गई है। कांग्रेस सांसद अडानी विवाद में जेपीसी की मांग के अलावा इस मुद्दे पर बहस चाहते हैं। दोनों सदनों को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने सदन में नारेबाजी और तख्तियां दिखाते हुए अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम