नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद के ऊपरी सदन की पहली बैठक की 73वीं वर्षगांठ के अवसर पर राज्यसभा के सदस्यों को संबोधित करते हुए मंगलवार को एक पत्र लिखा। अपने पत्र में उन्होंने इस ऐतिहासिक दिन को देश की संसदीय परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों का गहराई से स्मरण करने का अवसर बताया।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “आज का दिन राज्यसभा, उच्च सदन की पहली बैठक के आरंभ की 73वीं वर्षगांठ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमारे गणतंत्र के 75वें वर्ष के साथ मेल खाता है। वास्तव में, यह हम सभी के लिए गहन चिंतन का क्षण है, और इस बात पर गर्व भी है कि दशकों से राज्यसभा ने सार्वजनिक मुद्दों को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय विमर्श को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा का गठन 3 मई 1952 को किया गया था और इसकी पहली बैठक 13 मई 1952 को हुई थी। इसके पहले सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे, जो 13 मई 1952 से 12 मई 1962 तक (लगातार दो कार्यकाल) इस पद पर रहे थे।
खास बात यह है कि पहले राज्यसभा का नाम काउंसिल ऑफ स्टेट्स था। बाद में 23 अगस्त 1954 को इसका हिंदी नाम बदलकर राज्यसभा किया गया।
जगदीप धनखड़ ने पत्र में लिखा है, “यह संविधान सभा के सदस्यों द्वारा विमर्श के संबंध में स्थापित किए गए अनुकरणीय मानकों को याद करने का भी क्षण है। विवादास्पद और विभाजनकारी मुद्दों पर सहयोग और सहमति की भावना से विचार किया गया। इस अवसर पर, मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं और संसदीय बहस और विमर्श की उच्चतम परंपराओं को बनाए रखने की अपील करता हूं ताकि हमारे लोगों को प्रेरणा और प्रोत्साहन मिले।”
धनखड़ ने पत्र में लिखा, “यह हमारे लिए राष्ट्रीय हित और सुरक्षा को पक्षपातपूर्ण और अन्य हितों से ऊपर रखने का संकल्प लेने का भी अवसर है।”
–आईएएनएस
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