नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। मंगलवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों ने सार्वजनिक परामर्श के लिए चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) के अलग-अलग मसौदों (ड्राफ्ट रूल्स) को पहले ही प्रकाशित कर दिया है।
सर्वेक्षण के अनुसार, 13 दिसंबर 2022 तक के सर्वेक्षण के अनुसार, 31 राज्यों ने वेतन कोड के तहत, 28 राज्यों ने औद्योगिक संबंध कोड के तहत, 28 राज्यों ने सामाजिक सुरक्षा कोड के तहत और 26 राज्यों ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों के कोड के तहत मसौदा नियमों को पूर्व प्रकाशित किया है।
2019 और 2020 में 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम कोड्स में मिलाकर सरल बनाया गया था अर्थात वेतन कोड, 2019, औद्योगिक संबंध कोड, 2020, सामाजिक सुरक्षा कोड, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा कोड, 2020 आदि।
नए कानून बदलते श्रम बाजार के रुझानों के अनुरूप हैं और साथ ही, कानून के ढांचे के भीतर स्वरोजगार और प्रवासी श्रमिकों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी की जरूरत और कल्याणकारी जरूरतों को समायोजित करते हैं। श्रम कोड्स को वर्तमान आर्थिक परि²श्य और तकनीकी प्रगति के साथ-साथ परिभाषाओं और प्राधिकरणों की बहुलता में कमी के साथ जोड़ा गया है।
प्रवर्तन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए वेब आधारित निरीक्षण जैसी प्रौद्योगिकी का उपयोग शुरू किया गया है। श्रम कोड्स में छोटे अपराधों को अपराध नहीं माना गया है। कोड्स के तहत बनाए गए नियमों को केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और उचित स्तर पर सौंपा गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि सार्वजनिक परामर्श के लिए उनके आधिकारिक राजपत्रों में नियमों के पूर्व-प्रकाशन की जरूरत है।
–आईएएनएस
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