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रामकृष्ण परमहंस: मां काली के उपासक और स्वामी विवेकानंद के गुरु, शिक्षाएं ऐसी जो आज भी प्रासंगिक

देशबन्धु by देशबन्धु
August 14, 2025
in राष्ट्रीय
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रामकृष्ण परमहंस: मां काली के उपासक और स्वामी विवेकानंद के गुरु, शिक्षाएं ऐसी जो आज भी प्रासंगिक
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के महान संत और विचारक रामकृष्ण परमहंस के जीवन और शिक्षाओं ने न केवल भारत, बल्कि विश्व भर में आध्यात्मिक चेतना को जागृत किया। स्वामी विवेकानंद जैसे महान शिष्य के गुरु रामकृष्ण परमहंस का जीवन सादगी, भक्ति और मानवता का प्रतीक रहा।

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रामकृष्ण परमहंस को गदाधर चटर्जी के नाम से भी जाना जाता है, जिनका जन्म 18 फरवरी, 1836 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के कामारपुकुर गांव में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि आध्यात्मिकता और भक्ति में थी। वे मां काली के प्रति गहरी श्रद्धा रखते थे और दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा करते हुए उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय व्यतीत किया। उनकी भक्ति इतनी गहरी थी कि वे अक्सर समाधि की अवस्था में चले जाते थे। रामकृष्ण का मानना था कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। उनकी यह शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं, जो विभिन्न धर्मों के बीच एकता और समन्वय को बढ़ावा देती हैं।

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रामकृष्ण का जीवन केवल भक्ति तक सीमित नहीं था, वे एक कुशल शिक्षक भी थे। उनकी सरल भाषा में दी गई शिक्षाएं गहन दार्शनिक सत्य को प्रकट करती थीं। उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद ने उनकी शिक्षाओं को विश्व पटल पर ले जाकर ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की।

1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण ने रामकृष्ण के दर्शन को वैश्विक मंच प्रदान किया। रामकृष्ण ने कहा था, ‘जितने मत, उतने पथ,’ जिसका अर्थ है कि सत्य या धर्म के मार्ग एक नहीं बल्कि कई हो सकते हैं, लेकिन सभी एक ही परम सत्य की ओर ले जाते हैं।

16 अगस्त, 1886 में, गले के कैंसर की वजह से रामकृष्ण ने कोलकाता के काशीपुर में अंतिम सांस ली।

उनकी मृत्यु के बाद भी, उनके विचार और आध्यात्मिक संदेश जीवित रहे। उनके शिष्यों द्वारा रामकृष्ण मिशन और मठ स्थापित किए गए। जो आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में कार्यरत है। रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।

उनकी जीवनी और उपदेशों को रामकृष्ण मठ द्वारा प्रकाशित पुस्तकों, जैसे श्रीरामकृष्ण वचनामृत और रामकृष्ण कथामृत में संकलित किया गया है। ये ग्रंथ उनके जीवन और दर्शन को समझने का प्रमाणिक स्रोत हैं।

रामकृष्ण मिशन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक जागृति का आधार बनी हुई हैं।

उनका जीवन एक आध्यात्मिक दीपक की तरह है, जो आज भी लोगों के मन को प्रकाशित करता है। उनकी सादगी, भक्ति और मानवता के प्रति प्रेम ने उन्हें अमर बना दिया।

–आईएएनएस

एससीएच/केआर

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