नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होकर नरेंद्र मोदी भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जो इतने बड़े पैमाने पर हुए किसी मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में न केवल मुख्य भूमिका में शामिल हुए बल्कि ऐसा करने के लिए उन्होंने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान, व्रत और तपश्चर्या भी की।
जाहिर सी बात है कि ऐसा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के जनमानस के मन-मष्तिष्क में पहले से ही बसे भगवान राम को सर्वव्यापी बनाने का पूरा प्रयास किया है।
दरअसल, प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा और सरकार के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेता मोहन भागवत ने अपने वक्तव्यों के जरिए आने वाले कई वर्षों के एजेंडे को भी साधने का महत्वपूर्ण प्रयास किया।
प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत का यह प्रयास अपने आप में इसलिए भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि जहां एक ओर भाजपा ने आगामी लोक सभा चुनाव के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट के साथ 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है तो वहीं दूसरी ओर तमाम कोशिशों के बावजूद विपक्षी दल एकजुट नहीं हो पा रहे हैं।
दरअसल, भाजपा ने 1989 के पालमपुर अधिवेशन में प्रस्ताव पर जबसे रामजन्मभूमि आंदोलन का खुल कर समर्थन करने का फैसला किया था, तब से ही (2004 और 2009 के लोक सभा चुनाव को छोड़कर) हमेशा भाजपा को लाभ हुआ है। हालांकि भाजपा की यह बढ़त ज्यादातर उत्तर भारत के राज्यों तक ही सीमित रही लेकिन इस बार भाजपा ने भगवान राम को देश की अस्मिता, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, विकसित भारत, विश्व गुरु, सदियों के इंतजार और अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखने के एजेंडे के साथ जोड़ कर जिस देशव्यापी स्तर पर देश भर के मंदिरो में स्वच्छता और श्रमदान का अभियान चलाया।
22 जनवरी को जिस तरह से देशभर में दीपवाली जैसा माहौल बना दिया और अब प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद बूथ स्तर तक जाकर देश के लोगों को अयोध्या में रामलला के दर्शन कराने की योजना पर काम कर रहे हैं, उससे यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि भाजपा का जनाधार इस बार बहुत तेजी से बढ़ने जा रहा है।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद, अब भाजपा अगले दो महीने तक देशभर से लोगों को अयोध्या लाकर, रामलला के दर्शन करवाने के लिए ‘श्री राम जन्मभूमि दर्शन’ अभियान भी चलाएगी। इस अभियान को लेकर भाजपा की तैयारी इतनी व्यापक है कि पार्टी ने अपने मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और संगठन के वरिष्ठ नेताओं से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को इस अभियान में उतार दिया है।
भाजपा के नेता अपने-अपने इलाकों में अयोध्या आने की इच्छा रखने वाले लोगों से संपर्क कर उन्हें अयोध्या जाने में मदद करेंगे वहीं अयोध्या में तैनात पार्टी नेता एवं कार्यकर्ता रामभक्तों को राम मंदिर और रामलला का दर्शन करवाने में पूरी सहायता करेंगे।
पार्टी की योजना प्रतिदिन 25 हजार से ज्यादा लोगों को राम मंदिर के दर्शन करवाने की है और विश्व हिंदू परिषद भी इसमें बढ़-चढ़कर शामिल हो रहा है। पार्टी की योजना हर लोक सभा क्षेत्र से 6 हजार रामभक्तों को अयोध्या ले जाकर रामलला के दर्शन करवाने की है।
इस अभियान से बने राममय माहौल का असर पूरे देश में पड़ने जा रहा है। पार्टी को यह लग रहा है कि इस अभियान के कारण उन्हें इस बार कर्नाटक के साथ-साथ तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भी फायदा मिल सकता है।
भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने-अपने मंत्रिमंडल के साथ जाकर रामलला के दर्शन करेंगे। 31 जनवरी के बाद भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अलग-अलग तारीखों पर अपने-अपने मंत्रिमंडल के साथ अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे।
हालांकि रामलहर के रथ पर सवार भाजपा लोक सभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए पार्टी जहां एक तरफ देश में राममय माहौल बनाकर अपने समर्पित वोट बैंक को साधे रखना चाहती है, वहीं इसके साथ-साथ मोदी सरकार की उपलब्धियों, विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का भी पूरा-पूरा लाभ हासिल करने की कोशिश की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं एक तरफ जहां भगवान राम के साथ-साथ शबरी, हनुमानजी, जटायु और निषाद का जिक्र कर सोशल इंजीनियरिंग को साध रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आगामी लोक सभा चुनाव में पहली बार वोट करने जा रहे 7 करोड़ से ज्यादा फर्स्ट टाइम वोटरों के साथ स्वयं संवाद कर उन्हें समझा रहे हैं कि उनका एक वोट भारत में एक स्थिर और बड़े बहुमत वाली सरकार बनाकर दुनिया में भारत की साख और बढ़ा सकता है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री बार-बार अपनी प्रिय चार जातियों- महिला, युवा, किसान और गरीब के विकास की बात कर नए कैडर वोट भी तैयार कर रहे हैं।
पार्टी ने जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के मुताबिक रामभक्तों को रामलला के दर्शन करवाने की देशव्यापी योजना तैयार की है, वहीं प्रधानमंत्री की प्रिय चार जातियों (महिला, युवा, किसान और गरीब ) को साधने के लिए ‘ज्ञान’ फॉर्मूले पर भी काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भुना कर ऐतिहसिक जीत हासिल करने की कोशिश में जुटी भाजपा ‘अबकी बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार ‘ के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रही है।
पार्टी ने ‘मोदी की गारंटी’ को समाहित करते हुए आगामी लोक सभा चुनाव के लिए 25 जनवरी को ‘सपने नहीं हकीकत बुनते हैं, तभी तो सब मोदी को चुनते हैं’ नारे के साथ पार्टी के आधिकारिक अभियान की शुरुआत भी कर दी है।
–आईएएनएस
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