रायगढ़ (महाराष्ट्र), 23 जुलाई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के रायगढ़ में 19 जुलाई को इरशालवाड़ी पहाड़ी भूस्खलन त्रासदी स्थल के पीड़ितों के लिए बहु-एजेंसी खोज और बचाव अभियान बंद कर दिया गया है, क्योंकि वहां अब किसी और जीवित बचे इंसान के मलबे में दबे हाने की संभावना नहीं है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
ऑपरेशन बंद करने का निर्णय विभिन्न एजेंसियों, रायगढ़ जिला प्रशासन और स्थानीय ग्रामीणों के बीच चर्चा के बाद लिया गया।
पिछले चार दिनों में अब तक कुल 27 शव मलबे से निकाले जा चुके हैं।
इसके अलावा, अन्य 57 ग्रामीणों के लापता होने की सूचना है और उन्हें पहाड़ी की ढलान पर मृत मान लिया गया है, जहां उनके घर पहाड़ी भूस्खलन में नष्ट हो गए हैं।
इरशालवाड़ी गांव इरशालगढ़ पहाड़ियों की ढलान पर स्थित था और 19 जुलाई को रात करीब 11.30 बजे क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के बाद बड़े पैमाने पर पत्थरों और कीचड़ के कारण आंशिक रूप से दब गया था।
रायगढ़ के संरक्षक मंत्री उदय सामंत ने रविवार को घटनास्थल का दौरा करने के बाद संवाददाताओं से कहा, “रिकॉर्ड के अनुसार, 228 निवासियों के साथ कुल 43 आवास थे। हमने 27 शव बरामद किए हैं, जबकि 57 लापता हैं। राहत शिविर में लगभग 144 लोग रह रहे हैं।”
इन 144 लोगों में से 21 लोगों को जीवित बचा लिया गया, जबकि बाकी 123 लोग पहाड़ी से भूस्खलन के बाद सुबह खुद ही नीचे आ गए।
चार दिनों के कठिन मानवीय प्रयासों के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने खोजी कुत्ते के दस्ते के साथ मलबे में किसी और जीवित व्यक्ति के दबे होने की संभावना से इनकार किया है।
इस त्रासदी में बचे कई ग्रामीण पुनर्वास की प्रतीक्षा में पंचायतन मंदिर में डेरा डाले हुए हैं। अन्य को शिपिंग कंटेनरों में अस्थायी आवास में रखा गया है, जिनमें बुनियादी सुविधाएं हैं।
सामंत ने यह भी आश्वासन दिया कि आदिवासियों के लिए स्थायी पुनर्वास जल्द से जल्द किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “हम प्रभावित ग्रामीणों, स्थानीय प्रतिनिधियों से बात करेंगे और उनके सुझावों पर विचार करने के बाद इसे जल्द से जल्द किया जाएगा।”
खोदकर निकाले गए शवों में 12 पुरुष, 10 महिलाएं और चार बच्चे शामिल हैं, जबकि एक शव की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।
–आईएएनएस
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