जम्मू, 20 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि देश का संविधान प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अनुमति देता है।
जम्मू-कश्मीर एलजी ने आईआईएम, जम्मू के ग्रीन जम्मू एंड कश्मीर ड्राइव 2023-2024 अभियान की शुरुआत के मौके पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है” क्योंकि संविधान उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुमति देता है जो राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा हैं और जिन्होंने आतंकवाद, उसके पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन किया है और अवैध तरीकों से सरकारी नौकरियों का आनंद लिया है।
सिन्हा ने कहा, “भारतीय संविधान में बी.आर. अंबेडकर और अन्य निर्माताओं द्वारा रखा गया एक प्रावधान है, जो कहता है, ‘राज्य/राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं।’ जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उन लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है जिन्होंने आतंकवाद, उसके पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन किया है और अवैध तरीकों से सरकारी नौकरियों का आनंद लिया है। इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है।”
उनका बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर बैंक द्वारा अपने अधिकारी सज्जाद बजाज को एजेंसियों से उनके खिलाफ प्राप्त विश्वसनीय रिपोर्ट के आधार पर बर्खास्त करने के एक दिन बाद आया है।
एलजी ने कहा, “जिस किसी ने भी आतंक और उसके इको-सिस्टम का समर्थन किया है, उसे इसका सामना करना पड़ेगा। सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए कश्मीर में समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। अब जम्मू क्षेत्र में भी यही दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। हमने जम्मू में कुछ सफलता हासिल की है और जल्द ही अधिक की उम्मीद है।”
सिन्हा जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री, महबूबा मुफ्ती की ओर इशारा कर रहे थे, जिन्होंने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट में सज्जाद बजाज की बर्खास्तगी की आलोचना करते हुए टिप्पणी की थी, “कश्मीरी कर्मचारियों को गलत तरीके से आतंकवादी समर्थक और आईएसआई समर्थक करार देकर निशाना बनाकर बर्खास्त करना आम बात हो गई है। जज और जूरी के रूप में काम कर रही सरकार के साथ आरोपी को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका नहीं दिया जाता है। यह गुंडागर्दी कश्मीरियों को डराने के लिए है।”
–आईएएनएस
एकेजे