वैशाली (बिहार), 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गरीब परिवारों के जीवन में काफी बदलाव आया है। वैशाली जिले के मदरना पंचायत की रहने वाली महिलाएं भी इससे लाभान्वित हो रही हैं। इसी पंचायत की शारदा देवी ने योजना से हुए लाभ को लेकर आईएएनएस से बातचीत की।
शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
–आईएएनएस
एफएम/एकेजे
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वैशाली (बिहार), 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गरीब परिवारों के जीवन में काफी बदलाव आया है। वैशाली जिले के मदरना पंचायत की रहने वाली महिलाएं भी इससे लाभान्वित हो रही हैं। इसी पंचायत की शारदा देवी ने योजना से हुए लाभ को लेकर आईएएनएस से बातचीत की।
शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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वैशाली (बिहार), 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गरीब परिवारों के जीवन में काफी बदलाव आया है। वैशाली जिले के मदरना पंचायत की रहने वाली महिलाएं भी इससे लाभान्वित हो रही हैं। इसी पंचायत की शारदा देवी ने योजना से हुए लाभ को लेकर आईएएनएस से बातचीत की।
शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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वैशाली (बिहार), 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गरीब परिवारों के जीवन में काफी बदलाव आया है। वैशाली जिले के मदरना पंचायत की रहने वाली महिलाएं भी इससे लाभान्वित हो रही हैं। इसी पंचायत की शारदा देवी ने योजना से हुए लाभ को लेकर आईएएनएस से बातचीत की।
शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने बताया कि साल 2014 में वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। इसके बाद राष्ट्र ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से लोन लिया और फिर दुकान शुरू की। इससे पहले वह दूध सेंटर चलाती थीं, लेकिन बाढ़ की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। बीमारी की वजह से उनके कई मवेशियों की मौत हो गई थी।
शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
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उल्लेखनीय है कि जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया था। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की जा सके।
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शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
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शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
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शारदा देवी ने कहा कि बाढ़ के कारण हुए नुकसान के बाद वह चंपा जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और फिर लोन लिया। बीस हजार रुपये के लोन के साथ एक किराने की दुकान खोली। अब वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं। महीने में लगभग 10 हजार रुपये की कमाई करती हैं।
शारदा देवी ने साधारण परिवार से एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय किया है। मदरना पंचायत के लोगों के लिए वह प्रेरणा की मिसाल हैं।
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