नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। कर्नाटक, दक्षिण भारत का इकलौता ऐसा राज्य माना जाता है जहां भाजपा काफी मजबूत मानी जाती रही है। कर्नाटक में भाजपा ने कई बार सरकार का भी गठन किया हालांकि उसे राज्य में हुए किसी भी विधान सभा चुनाव में सीधा और स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं हुआ था। इसलिए कभी-कभी यह भी कहा जाता था कि कर्नाटक की जनता ने भाजपा के लिए अपनी खिड़की तो खोल दी है लेकिन पूरा दरवाजा अभी खोलना बाकी है। भाजपा आलाकमान ने इस बार अपने सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में वोटरों को साधने के लिए उतार दिया था लेकिन कर्नाटक की जनता के फैसले से भाजपा को बहुत बड़ा राजनीतिक धक्का लगा है। राज्य की जनता ने भाजपा के खाते में सिर्फ 66 सीटें ही दी वहीं कांग्रेस को भाजपा की तुलना में दो गुने से भी ज्यादा 135 सीटों पर विजयी बनाया।
कर्नाटक के चुनावी नतीजें आने के बाद से ही कांग्रेस नेताओं और कार्यकतार्ओं का मनोबल बढ़ गया है। यहां तक की लोक सभा चुनाव के मद्देनजर मोदी के खिलाफ विरोधी दलों का साझा मोर्चा तैयार करने वाले क्षेत्रीय दल के नेता भी अब कांग्रेस के महत्व को खुल कर स्वीकार करने लगे हैं। ऐसे में सवाल यह उठाया जा रहा है कि क्या कांग्रेस 2024 में 2004 के इतिहास को दोहरा सकती है ? क्या सोनिया-राहुल और खड़गे मिलकर 2004 की तरह 2024 के लोक सभा चुनाव में भी भाजपा को हरा कर मोदी को केंद्र की सत्ता से बाहर कर सकते हैं ?
कर्नाटक के नतीजे आने के बाद से ही भाजपा के तमाम नेता यह बताने और समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि कर्नाटक के नतीजों को कोई असर 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव पर पड़ने नहीं जा रहा है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी भाजपा को मिली हार के बाद यह दावा किया कि विधान सभा के जनादेश का लोक सभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। येदियुरप्पा ने तो यहां तक दावा किया कि भाजपा राज्य की कुल 28 लोक सभा सीटों में से 25 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करेगी जो उसने 2019 के लोक सभा चुनाव में जीती थी।
भाजपा के सहयोगी एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से लेकर कर्नाटक चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक के तौर पर प्रचार करने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा तक कई नेता कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए यह कह रहे हैं कि कर्नाटक के नतीजों का लोक सभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। असम के मुख्यमंत्री ने तो 2024 में केंद्र में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने का दावा करते हुए कहा कि कर्नाटक के नतीजे से केंद्र की सत्ता में भाजपा की वापसी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह माना कि भाजपा ने कर्नाटक में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, लेकिन इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि इसकी वजह से भाजपा के लगातार तीसरी बार केंद्र में आने की संभावना पर कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है।
कर्नाटक के चुनावी नतीजे आने के कुछ दिन बाद पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह दावा किया कि केवल भाजपा ही केंद्र में सुशासन प्रदान कर सकती है। उन्होंने लोक सभा चुनाव में कर्नाटक के नतीजों का कोई असर नहीं पड़ने की बात कहते हुए यह भी कहा कि विधान सभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों को महत्व दिया जाता है जबकि लोक सभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों और केंद्र सरकार की नीतियों पर लड़ा जाता है।
हालांकि एक के बाद एक प्रत्येक चुनाव की कई महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देने वाली भाजपा ने 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को लेकर भी तैयारियों पहले ही शुरू कर दी थी। पार्टी आने वाले दिनों में लोक सभा चुनाव से जुड़े अभियानों में और तेजी लाने जा रही है। केंद्र में मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भाजपा देश भर में 30 मई से लेकर 30 जून तक यानी पूरे एक महीने तक एक विशेष जनसंपर्क अभियान चलाने जा रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वयं पार्टी के सभी सांसदों को इस अभियान के दौरान सरकार की योजना से लाभान्वित होने वाले लाभार्थियों से मोदी सरकार के कामकाज को लेकर फीडबैक लेने और उसे आलाकमान तक पहुंचाने का निर्देश दिया है। पार्टी ने देश की आधी आबादी यानी महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए देशभर में कमल मित्र प्रशिक्षण अभियान की शुरूआत कर दी है। जेपी नड्डा ने शुक्रवार को ही पार्टी मुख्यालय में इस अभियान का उद्घाटन किया।
हालांकि लोक सभा चुनावों के साथ-साथ पार्टी इस वर्ष में होने वाले पांच अन्य राज्यों की चुनावी तैयारी में भी जोर-शोर से जुटी हुई है। इस वर्ष जिन पांच राज्यों में अभी विधान सभा का चुनाव होना है उनमें से तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से ही होना है और इसलिए इन तीन राज्यों के नतीजों से यह पता लगेगा कि कांग्रेस फिर से मजबूत होने की राह पर है या भाजपा ने कर्नाटक का बदला ले लिया है। इन तीन में से दो राज्यों- राजस्थान और छत्तीसगढ़ में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता में है। चौथा चुनावी राज्य दक्षिण भारत का तेलंगाना है, जहां के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव मोदी के खिलाफ विपक्षी मोर्चा बनाने की मुहिम में जुटे हुए है। भाजपा यह मान कर चल रही है कि कर्नाटक के नतीजों की वजह से पार्टी के मिशन साउथ इंडिया अभियान को लगे झटके से पार्टी को उबारने और दक्षिण भारत के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए अब तेलंगाना विधान सभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करना बहुत जरूरी हो गया है। इसलिए यह साफ है कि लोक सभा चुनाव के फाइनल से पहले कांग्रेस और भाजपा को अभी कई सेमीफाइनल मैच लड़ने हैं।
–आईएएनएस
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