पटना, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश को एक नई दिशा देनेवाली है और इसके कार्यान्वयन में शिक्षकों की सहभागिता अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के मन में यह भाव होना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण के लिए इस विशिष्ट दायित्व का निर्वहन उनकी जिम्मेदारी है।
राज्यपाल आर्लेकर पटना आईआईटी में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ब्रिटिश शासन के हितों के अनुरूप थी और इससे भारत का काफी नुकसान हुआ। उन्होंने हालांकि संतोष जताते हुए कहा कि अब देश करवट ले रहा है और हमें इस परिवर्तन में सहभागी बनना है।
आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
–आईएएनएस
एमएनपी/एसजीके
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राज्यपाल आर्लेकर पटना आईआईटी में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ब्रिटिश शासन के हितों के अनुरूप थी और इससे भारत का काफी नुकसान हुआ। उन्होंने हालांकि संतोष जताते हुए कहा कि अब देश करवट ले रहा है और हमें इस परिवर्तन में सहभागी बनना है।
आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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राज्यपाल आर्लेकर पटना आईआईटी में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ब्रिटिश शासन के हितों के अनुरूप थी और इससे भारत का काफी नुकसान हुआ। उन्होंने हालांकि संतोष जताते हुए कहा कि अब देश करवट ले रहा है और हमें इस परिवर्तन में सहभागी बनना है।
आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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राज्यपाल आर्लेकर पटना आईआईटी में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ब्रिटिश शासन के हितों के अनुरूप थी और इससे भारत का काफी नुकसान हुआ। उन्होंने हालांकि संतोष जताते हुए कहा कि अब देश करवट ले रहा है और हमें इस परिवर्तन में सहभागी बनना है।
आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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राज्यपाल आर्लेकर पटना आईआईटी में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ब्रिटिश शासन के हितों के अनुरूप थी और इससे भारत का काफी नुकसान हुआ। उन्होंने हालांकि संतोष जताते हुए कहा कि अब देश करवट ले रहा है और हमें इस परिवर्तन में सहभागी बनना है।
आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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राज्यपाल आर्लेकर पटना आईआईटी में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति ब्रिटिश शासन के हितों के अनुरूप थी और इससे भारत का काफी नुकसान हुआ। उन्होंने हालांकि संतोष जताते हुए कहा कि अब देश करवट ले रहा है और हमें इस परिवर्तन में सहभागी बनना है।
आर्लेकर ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम समय की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनें। कार्यक्रम को भारतीय शिक्षण मंडल के आयोजन सचिव बी.आर. शंकरानंद, आईआईएम- बोधगया की निदेशक प्रो. विनीता सहाय एवं आईजीआईएमएस-पटना के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईआईटी-पटना के निदेशक प्रो. टी.एन. सिंह एवं अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे।
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