नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ सीजन 10 की ट्रॉफी जीतनेे वाले अबूझमाड़ मल्लखंब एंड स्पोर्ट्स अकादमी के कोच मनोज प्रसाद ने कहा कि उनकी योजना अगले पांच वर्षों में अपने संस्थान का विस्तार करने की है।
देश के सबसे दुर्गम और पिछड़े हिस्सों में से एक छत्तीसगढ़ के पुराने माओवादी ‘रेड कॉरिडोर’ में स्थित अकादमी ने 20 लाख रुपये की पुरस्कार राशि जीती। समापन एपिसोड में अबूझमाड़ मल्लखंब समूह ने ‘जी करदा मरजाणेया’ ट्रैक पर प्रस्तुति दी।
आईएएनएस से बात करते हुए कोच ने अगले पांच वर्षों के लिए अपनी योजना का खुलासा किया और अपनी आईजीटी यात्रा के बारे में भी बताया।
प्रसाद ने कहा, “हमारी योजना एक खेल अकादमी खोलने की है। अबूझमाड़ में कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें अपने जीवन में चमकने का अवसर चाहिए। जब हम एथलीट थे तो हमारे पास जूते, कपड़े और खाना नहीं था। लेकिन फिर हमने नेशनल भी खेला।”
उन्होंने कहा, ”हम अबूझमाड़ से बच्चों को हरसंभव सुविधाएं देना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि ओलंपिक में भी हमें पदक मिलेंगे। अगले पांच वर्षों में मैं अपनी अकादमी को बड़ा बनाना चाहता हूं।”
अबूझमाड़ छत्तीसगढ़ का एक पहाड़ी वन क्षेत्र है जो विभिन्न स्वदेशी समुदायों का घर है। भौगोलिक रूप से अलग-थलग और बड़े हिस्से में दुर्गम, यह क्षेत्र एक समय माओवादी विद्रोह के केंद्र के रूप में कुख्यात था।
अकादमी की आईजीटी यात्रा के बारे में प्रसाद ने कहा, ”आईजीटी के बारे में सोचना और यहां आना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। लेकिन हमारी इस जीत के पीछे कई लोगों की कड़ी मेहनत और बलिदान है। ये बच्चे चार-पांच साल से अपने घर वापस नहीं गए क्योंकि वे भारत में अपनी प्रतिभा दिखाना चाहते थे, और अपने समुदाय को बचाना चाहते थे।”
उन्होंने कहा, “शायद आज यह आसान लगता है, लेकिन इसके पीछे 10 साल का सफर है। हमने लोगों की अपमानजनक टिप्पणियां सुनी हैं, बहुत त्याग किया है और आखिरकार हमने यह सफलता हासिल की है।”
अपने बचपन और किशोरावस्था को याद करते हुए प्रसाद ने कहा, “एक समय था जब हम दूसरे लोगों के घर जाकर टीवी चैनल देखा करते थे। हम टीवी पर शिल्पा शेट्टी जैसी बड़ी स्टार को देखते थे और सोचते थे कि हम भी कुछ कर सकते हैं। ताकि लोग हमें टीवी पर देखना शुरू कर दें, और अब, लोग वास्तव में हमें टीवी पर देख रहे हैं, इसलिए यह हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी भावना और उपलब्धि है। हमारे लिए यह चांद तक पहुंचने से कम नहीं है।”
भारतीय सिनेमा में पार्कौर और कैलिस्थेनिक्स लोकप्रिय होने के साथ, प्रसाद लोकप्रिय संस्कृति में पारंपरिक भारतीय खेल मल्लखंभ का क्या भविष्य देखते हैं?
प्रसाद ने उत्तर दिया, “मल्लखंब एक खेल है। जब भी इसका अभ्यास किया जाता है, तो कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है। मल्लखंब के कारण होने वाला शारीरिक और मानसिक विकास सभी के लिए एक आवश्यकता है। यह ताकत और लचीलापन प्रदान करता है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने विद्युत जामवाल और सलमान खान को यह कहते हुए सुना है कि वे मल्लखंभ का अभ्यास करते हैं। यह आपकी जीवनशैली को पूरी तरह से बदल देता है, और फिल्म जगत के लोगों को निश्चित रूप से मल्लखंभ से फायदा होगा।”
प्रसाद ने कहा कि अकादमी की आईजीटी यात्रा की उनकी सबसे अच्छी याद विधु विनोद चोपड़ा जैसे कई बड़े लोगों से मिलना है।
उन्होंने कहा, “हम उनकी फिल्में देखने का आनंद लेते थे और जब वह मंच पर आए और हमें गले लगाया और हमसे बात की, तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। हमें उनसे नई ऊर्जा मिली। मैं उस पल को भूल नहीं पाऊंगा।”
–आईएएनएस
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