deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा जब कुटुंब का ध्यान रहेगा : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

by
November 12, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

READ ALSO

20 साल पुराने वाहन अब नहीं होंगे कबाड़, केंद्र सरकार का नया नियम जारी

देश में गृह युद्ध की स्थिति पैदा करने की साजिश: गिरिराज सिंह

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि समाज में सभी को ‘कुटुंब प्रबोधन’ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह भारत के चरित्र में है, कुटुंब का ध्यान नहीं देंगे तो जीवन सार्थक कैसे रहेगा। हमें पता होना चाहिए, हमारे पड़ोस में कौन है, हमारे समाज में कौन है, उनके क्या सुख-दुख हैं, कैसे हम उनको राहत दे सकते हैं, ये जीवन को सार्थक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब हम पाते हैं कि हर कोई भौतिकवाद की तरफ जा रहा है। इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनों को नजरअंदाज कर देते हैं, अपनों का ध्यान नहीं देते हैं। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब कुटुंब का ध्यान रहेगा। राष्ट्र का ध्यान तभी रहेगा, जब अपनों का ध्यान रहेगा। यह हमारी संस्कृति का मूल सिद्धांत है।

उज्जैन में 66वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह’ में उन्होंने कहा, “कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें। हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें उन अधिकारों को हमारे दायित्व से संतुलित करना होगा। नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है। इसलिए आज के दिन मैं आपका आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। भारतीयता हमारी पहचान है। हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है। उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।”

युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण पर उन्होंने कहा, “बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी हैं। हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए। नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। बहुत अच्छा है, हम कल्पना करें, आकांक्षा रखें, बच्चा डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझे।”

भारत की ‘सामाजिक समरसता’ पर धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ‘सामाजिक समरसता’ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं। भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने वसुधैव कुटुंबकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है। हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी, क्योंकि हम सबकी सोचते हैं। आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है। उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है। अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो पहले कह चुका हूं, हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है।”

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

Related Posts

20 साल पुराने वाहन अब नहीं होंगे कबाड़, केंद्र सरकार का नया नियम जारी
ताज़ा समाचार

20 साल पुराने वाहन अब नहीं होंगे कबाड़, केंद्र सरकार का नया नियम जारी

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

देश में गृह युद्ध की स्थिति पैदा करने की साजिश: गिरिराज सिंह

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

भारत में मेनबोर्ड आईपीओ लिस्टिंग 28 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंची, एसएमई ने बनाया नया रिकॉर्ड

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

भारत के रूसी तेल की खरीद से ब्रेंट क्रूड की कीमतें स्थिर बनी हुईं : रिपोर्ट

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

विजयवाड़ा के कनक दुर्गा मां मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब, दर्शन से दूर होते हैं कष्ट

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

लातूर में श्रद्धालुओं के बैगों पर लगाए जा रहे रिफ्लेक्टर, हादसे से होगा बचाव

September 26, 2025
Next Post

बदलाव के मूड में झारखंड की जनता : मिथुन चक्रवर्ती

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

113721
Total views : 6015011
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In