गुवाहाटी, 29 मार्च (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य ठहराए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना की।
सरमा ने कहा, जब मनमोहन सिंह सरकार ने दो या अधिक साल की जेल की सजा के बाद सांसदों को अयोग्यता से राहत देने के लिए एक अध्यादेश लाने की कोशिश की, तो वह राहुल गांधी थे, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से अध्यादेश को फाड़ दिया था और दोषी ठहराए जाने के बाद तत्काल अयोग्यता की वकालत की थी।
सरमा ने असम विधानसभा में राज्य में कांग्रेस विधायकों से सवाल करते हुए कहा, क्या आप वायनाड के पूर्व सांसद को अपना नेता मानते हैं या नहीं।
सरमा ने विधानसभा में कहा, उस समय राहुल गांधी तत्काल अयोग्यता के पक्ष में थे और यह भी कहा कि उनकी पार्टी उसी रुख का पालन करती है। लेकिन अब, वह या तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को कोस रहे हैं, जिनकी राहुल गांधी की अयोग्यता में कोई भूमिका नहीं है।
सरमा ने 2013 की घटनाओं की श्रृंखला के बारे में भी बात की, जिस कारण राहुल गांधी ने कैबिनेट अध्यादेश को फाड़ दिया था।
उन्होंने कहा : लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को संविधान के अधिकार से बाहर बताया है। इसलिए, सजा पर अयोग्यता स्वत: और तत्काल है। यूपीए सरकार के तत्कालीन कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने उस समय एक समीक्षा याचिका भी दायर की थी।
सरमा ने कहा, हालांकि, समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद यूपीए सरकार अध्यादेश लाई, जिसे राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा, राहुल की तत्काल अयोग्यता का कांग्रेस पार्टी का विरोध चकित करने वाला है। जैसा कि 2013 में राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार को अस्वीकार किया था और कहा था, दो साल या उससे अधिक के लिए दोषी ठहराए जाने पर अयोग्यता तत्काल होनी चाहिए, और कोई अंतरिम राहत नहीं होनी चाहिए।
असम के मुख्यमंत्री ने आगे दावा किया कि राहुल गांधी की टिप्पणी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दोषी ठहराया गया, पूरे समुदाय को निर्देशित किया गया था।
असम के सीएम ने कहा, राहुल गांधी के पास अदालती कार्यवाही के दौरान पश्चाताप करने और माफी मांगने के कई अवसर थे। अदालत ने उनके खिलाफ फैसला दिया, क्योंकि उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया था।
सरमा ने राज्य विधानसभा में राहुल गांधी की अयोग्यता पर चर्चा के लिए प्रस्ताव लाने के लिए राज्य के कांग्रेस नेताओं की भी जमकर खिंचाई की।
सरमा ने कांग्रेस नेताओं से पूछा, अदालत के फैसले किसी व्यक्ति के पक्ष में या उसके खिलाफ भी जा सकते हैं। लेकिन क्या आप सिर्फ इसलिए विरोध शुरू कर देंगे और स्थगन प्रस्ताव की मांग करेंगे, क्योंकि एक निश्चित फैसला आपके खिलाफ था?
उन्होंने आगे कहा, अगर अदालत मुझे किसी मामले में दोषी ठहराती है तो क्या भाजपा के विधायक कल काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन करेंगे? नहीं। हम इस फैसले के खिलाफ सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं, लेकिन हम कानून को कभी चुनौती नहीं देंगे।
सरमा ने कहा कि न्यायपालिका की आलोचना करने की आदत देश के लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।
–आईएएनएस
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