जबलपुर. शहर के अनाज की कालाबाजारी रोकने, राशन दुकानों से नियमित अनाज वितरण, रिटायर्ड अफसर, समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीदी और वेयर हाउस में अनाज के रखरखाव में पारदर्शिता के लिए शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ठोस कदम उठाता तो है लेकिन ये कदम इतने ठोस होते आगे बढ़ ही नहीं पाते.
इसकी बानगी करीब 1 वर्ष पूर्व 11 जून 2023 को चरगवाँ स्थित मयंक वेयर हाउस में अनियमितता मिलने और एफआईआर के बाद जिला प्रशासन के साथ-साथ जिला पुलिस की कार्यशैली से सामने आ गई.
सूत्रों के अनुसार चरगवाँ स्थित मयंक वेयर हाउस और हल एग्री प्रोड्यूसर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का इतना बड़ा मामला संज्ञान में आने के बावजूद जिला प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के चलते आखिरकार वेयर हाउस संचालक नरेंद्र तोमर अपने वास्तविक आका रिटायर्ड फूड अफसर सुधीर दुबे के प्रश्रय में प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों से सांठ गांठ कर पूरे मामले में लीपापोती कर शहर छोड़कर भाग खड़े हुए थे.
तब जहाँ प्रदेश शासन एन चुनावों के मद्देनजर जहां राशन की कालाबाजारी, शराब माफिया, रेत माफिया, राशन की कालाबाजारी करने वालों के साथ ही बदमाशों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर आरोपियों द्वारा अर्जित संपत्तियों को जमींदोज करने में जुटी है. वहीं जबलपुर जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा एक रिटायर्ट फूड अफसर के साथ उसके प्रश्रय में फलफूल रहे एक कालाबाजारी के आरोपी वेयर हाउस संचालक पर कार्रवाई के बजाए मेहरबानी की खबर संस्कारधानी से राजधानी तक चर्चाओं में रही.
महज औपचारिकता के लिए दर्ज हुई थी एफआईआर
सूत्रों की मानें तो गेहूँ खरीदी के मामले में लीपापोती और उसके उसके बाद होने वाले खुलासों की खबर पहल ही जिला प्रशासन को लग गई थी. जिसके चलते वेयर हाउस संचालक नरेदं्र तोमर एवं उसके मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर औपचारिकता पूरी कर मामले में इतिश्री कर ली गई.
सूत्रों की मानें तो यदि दो बार बिक चुकी जमीन में वेयर हाउस संचालन और ब्लैक लिस्टेड हो चुकी हल एग्री कंपनी के 11 डायरेक्टरों की बारीकी से जांच कराई जाती तो इसमें वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन, खाद्य विभाग, एसडीएम, तहसीलदार, रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार, आरआई, पटवारी, जिला विपणन अधिकारी समेत वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक के कई अधिकारियों पर जांच और कार्रवाई की गाज गिर सकती थी.
ये हैं कंपनी के डायरेक्टर
सूत्रों के अनुसार गेहूँ खरीदी के मामले में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी हल एग्री कंपनी के डायरेक्टरों में नरेंद्र तोमर, रेणु तोमर, अतुल पांडे, भैयालाल पांडे, दीनदयाल पटेल, सुधा दुबे, चंदन शुक्ला, प्रार्थना दुबे, निरपत सिंह और अंकुश सिंह राजपूत शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार इन सभी डायरेक्टरों में दुबे बंधुओं में रिटायर्ड फूड अफसर सुधीर दुबे एवं उनके भाई आनंद दुबे को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है.
रिटायर्ड फूड अफसर सुधीर दुबे की पत्नी भी इस कंपनी के 11 डायरेक्टरों में शामिल हैं. सूत्रों की मानें तो कंपनी के काले कारनामों पर पर्दा डालने दुबे बंधु संस्कारधानी से राजधानी तक सक्रिय हुए. इनके रसूख के चलते प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी पर इस कंपनी और वेयर हाउस के खिलाफ कार्रवाई करने सामथ्र्य नहीं जुटा पाए.
बोरियों में कंकड़, मिट्टी भरने के बाद होती थी बंद
सूत्रों के अनुसार उक्त वेयर हाउस को 10 मई 2023 को चना भंडारण की अनुमति मिली. जिसके बाद कंपनी के डायरेक्टरों ने सांठ गांठ कर चने की बोरियों में कंकड़ पत्थर और मिट्टी भरने के बाद बोरियों को बंद किया जाता था. छापे वाले दिन भी 50 से अधिक बोरियों में वेयर हाउस के बाद तिरपाल से ढ़क कर रखी गई थीं. जिसकी जानकारी प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक अधिकारियों को भी थी. इसके बावजूद भी मौके का निरीक्षण, भौतिक सत्यापन तो दूर की बात जांच करने की भी जहमत नहीं उठा गई.
थाना प्रभारी की भूमिका संदिग्ध
सूत्रों के अनुसार पूरे मामले में तत्कालीन चरगवाँ थाना प्रभारी की भूमिका अत्यधिक संदिग्ध रही जिन्होंने यह दावा किया था कि न सिर्फ वेयर हाउस में 24 घंटे पुलिस तैनात है बल्कि आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा. ज्ञात हो कि वे ही पहले मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए भी तैयार नहीं थे.
फिर दिया गया सुधीर दुबे को अभयदान
इसी हल एग्री प्रोड्यूसर कंपनी हालही में किसानों के साथ डेढ़ करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में सुर्खियों में हैं. किसानों के साथ धोखाधड़ी के मामले जिला प्रशासन एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सिर्फ संचालक के विरूद्ध चरगवां थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई. फार्मर कंपनी के प्रबंधक रिटायर्ड फूड अफसर सुधीर दुबे एवं उनके परिवार के अन्य लोगों सहित कई लोग शामिल हैं लेकिन सिर्फ संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर प्रशासन ने रस्म अदायगी कर ली.
मामले में एफपीओ हल एग्री फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के संचालक नरेन्द्र सिंह तोमर के विरूद्ध चरगवां थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. इस फार्मर प्रोड्यूसर संगठन द्वारा रबी विपर्णन वर्ष 2023-24 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जित 1 करोड़ 68 लाख 69 हजार 270 रूपये कीमत का 3 हजार 162 क्विंटल चना अमानक कर दिये जाने के बावजूद उन्हेंर किसानों को वापस नहीं किया गया था.
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