रुद्रप्रयाग, 7 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड में जिस तरह से विकास किया जा रहा है उसे देखकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। खासतौर से पहाड़ पर हो रहा विकास अब उसी पहाड़ के लिए विनाश साबित होने लगा है। सिर्फ जोशीमठ ही नहीं कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग से भी ऐसी कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक ओर तस्वीर सामने आई है रुद्रप्रयाग के खांखरा गांव से जहां चल रहा रेल निर्माण का काम अब लोगों के लिए मुसीबत बन गया है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण से रुद्रप्रयाग जनपद के खांखरा गांव में भी दरारें पड़ रही हैं। गांव के नीचे से बन रही टनल के कारण यहां के आवासीय घरों में मोटी-मोटी दरारें पड़ चुकी हैं।
ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर कई बार रेल लाइन निर्माण का कार्य कर रही संस्था से मिल चुके हैं, लेकिन ग्रामीणों को ना तो मुआवजा मिल पाया और ना ही कोई ओर कार्यवाई हो पाई है। जिसके कारण यहां के लोग आक्रोशित हैं।
जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से 12 किमी की दूरी पर स्थित खांखरा गांव जिले का प्रवेश द्वार है। यहां के ग्रामीण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण के चलते दहशत में हैं। गांव के नीचे रेल लाइन की टनल बन रही है। टनल के भीतर हुए विस्फोटों के कारण खांखरा गांव के घर हिल चुके हैं और कई घरों में मोटी दरारें पड़ चुकी हैं।
करीब दो दर्जन परिवारों पर खतरे का साया मंडरा रहा है। इसके अलावा चारों ओर फैल रही धूल के कारण ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं। यहां के पेड़-पौधे भी धूल के कारण सूख रहे हैं। यहां लोग खतरे के साये में जीवन जीने को मजबूर है।
ग्रामीणों का कहना है कि वह रेल लाइन का कार्य बंद करवाने के लिए धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि कंपनी की ओर से ना तो उनके घरों की मरम्मत की जा रही है और ना ही उनको मुआवजा दिया जा रहा है।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि खांखरा के हालात जोशीमठ की तरह होने वाले हैं। यहां घरों में रहना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि जल्द ही उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे अपने बच्चों और मवेशियों के साथ कंपनी कार्यालय में धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हो जायेंगे।
–आईएएनएस
स्मिता/एसकेपी