दोहा, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। रोसनेफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इगोर सेचिन ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से वैश्विक बाजार के विभिन्न स्तंभों, विशेषकर ऊर्जा क्षेत्र को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने यह बात दोहा फोरम में कही।
सेचिन ने कहा, “प्रतिबंधों से कानूनी प्रणाली खत्म हो रही है जिसके चलते सामाजिक क्षेत्र और अंततः वैश्विक बाजार भी नष्ट हो रहा है।”
रोसनेफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा, “पिछले 20 वर्षों में, अमेरिकी प्रतिबंधों की संख्या 15,000 से अधिक हो गई है, साथ ही उनके यूरोपीय सहयोगियों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों की संख्या 5,000 को पार कर गई है। दुर्भाग्य से, ऊर्जा क्षेत्र, अपनी मांग और महत्व के कारण, विशेष ध्यान और दबाव का जरिया बन गया है।”
सेचिन ने कहा, “व्यापक प्रतिबंध, प्रतिस्पर्धा के विनाश, दीर्घकालिक अनुबंधों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के खत्म होने की वजह से ग्लोबल एनर्जी मार्केट के पुनर्वितरण में मूल्य अस्थिरता, कमी का जोखिम और झूठे ‘हरित’ संक्रमण लक्ष्य जैसी विशेषताएं शामिल हो गई हैं।”
रोसनेफ्ट के सीईओ ने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि राजनीतिक फैसले के साथ आर्थिक पृष्ठभूमि अक्सर प्रतिबंधों के लागू होने का मुख्य कारण होते हैं।
इतिहास का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक काल तक युद्धों के आर्थिक उद्देश्यों को छिपाने का चलन नहीं था लेकिन युद्ध के वास्तविक उद्देश्यों को पूरी तरह से राजनीतिक और वैचारिक रूप से छुपाना एक ऐसी परंपरा है जो न केवल बची हुई है, बल्कि समय के साथ और बड़ा रूप ले चुकी है।
सेचिन ने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध ‘पुराने उपनिवेशवादियों और नए उपनिवेशवादियों के बीच उपनिवेशों के फिर से बंटवारे को लेकर शुरू हुआ क्योंकि उपनिवेशवादी शक्तियां दुनिया के प्रारंभिक विभाजन से नाराज थीं । उन्होंने कहा कि पराजित जर्मनी की नाटकीय लूट दूसरे विश्व युद्ध के कारणों में से एक थी। इसका मुख्य लाभार्थी संयुक्त राज्य अमेरिका रहा, जिसने पुराने यूरोप की युद्ध-ग्रस्त अर्थव्यवस्था से भारी आर्थिक लाभ कमाया।’
सेचिन ने कहा, “अमेरिका और उसके सहयोगियों के पूर्ण प्रभुत्व पर आधारित यह प्रणाली एक दर्दनाक परिवर्तन से गुजर रही है जिसके हम गवाह बन रहे हैं।”
–आईएएनएस
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