नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर लगाए गए मूल्य सीमा (प्राइस कैप) से सहमत होने की भारत की अनिच्छा के कारण हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी तेल विपणन कंपनियों के लिए भुगतान संबंधी मुश्किलें पैदा हो गई हैं। उद्योग के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर लगाए गए मूल्य सीमा (प्राइस कैप) से सहमत होने की भारत की अनिच्छा के कारण हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी तेल विपणन कंपनियों के लिए भुगतान संबंधी मुश्किलें पैदा हो गई हैं। उद्योग के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर लगाए गए मूल्य सीमा (प्राइस कैप) से सहमत होने की भारत की अनिच्छा के कारण हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी तेल विपणन कंपनियों के लिए भुगतान संबंधी मुश्किलें पैदा हो गई हैं। उद्योग के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
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पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
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पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
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सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
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पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
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रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
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सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
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हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर लगाए गए मूल्य सीमा (प्राइस कैप) से सहमत होने की भारत की अनिच्छा के कारण हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी तेल विपणन कंपनियों के लिए भुगतान संबंधी मुश्किलें पैदा हो गई हैं। उद्योग के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर लगाए गए मूल्य सीमा (प्राइस कैप) से सहमत होने की भारत की अनिच्छा के कारण हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी तेल विपणन कंपनियों के लिए भुगतान संबंधी मुश्किलें पैदा हो गई हैं। उद्योग के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत की सीमा जी7 देशों के समूह, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ द्वारा 5 दिसंबर, 2022 को लगाई गई थी और यह देशों को रूसी तेल खरीदने के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक का भुगतान करने की अनुमति नहीं देता है।
हालांकि, सूत्रों का दावा है कि चूंकि भारत मूल्य सीमा का पालन करने को तैयार नहीं है, इसलिए एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को भुगतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीसीएल रूस के साथ टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में तेल विपणन कंपनी रूसी कच्चे तेल के लिए अमेरिकी डॉलर, यूएई दिरहम और रूसी रूबल में भुगतान कर रही है।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और एचपीसीएल नाम की तीन तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में नरमी के बावजूद घाटे का सामना कर रही हैं, क्योंकि मई 2022 से देश में खुदरा पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने इन कंपनियों को जून 2020 से दो साल के लिए रियायती कीमतों पर रसोई गैस बेचने के नुकसान की भरपाई के लिए एकमुश्त मुआवजे के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए थे।