नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के बारे में अधिक चिंतित है बजाय इसके कि दूसरे देशों के बारे में सोचे।
दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
–आईएएनएस
एसकेपी
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नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के बारे में अधिक चिंतित है बजाय इसके कि दूसरे देशों के बारे में सोचे।
दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के बारे में अधिक चिंतित है बजाय इसके कि दूसरे देशों के बारे में सोचे।
दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के बारे में अधिक चिंतित है बजाय इसके कि दूसरे देशों के बारे में सोचे।
दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
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दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “रूस का मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे। यूक्रेन युद्ध के बाद यह रास्ता बंद हो गया है। रूस एशिया की ओर रुख कर रहा है…यूक्रेन संघर्ष से पहले हमारा व्यापार रूस के साथ लगभग 12-14 अरब डॉलर था जो अब 40 अरब डॉलर का हो गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए कि वे दूसरे देशों के साथ क्या कर रहे हैं, हमें अपने रिश्ते जारी रखने चाहिए। भारतीय लोगों का हित सर्वोपरि है।”