सतना, देशबन्धु. रेलवे की सतना डिपो में पदस्थ लोको पायलट जितेन्द्र चौरसिया लोको पायलट की हत्या का खुलासा कटनी कोतवाली पुलिस ने कर लिया है. पुलिस अधीक्षक कटनी अभिजीत कुमार रंजन ने अब तक सामने आए साक्ष्यों के आधार पर अपराध की कहानी बयां की है. यह बात सामने आ रही है कि बचपन के दोस्त ने ही एक करोड़ की फिरौती के लिए उसके अपहरण की योजना बनाई थी और फिर भाड़े के अपराधियों के साथ मिलकर उसकी गोली माकर हत्या कर दी. अब इस प्रकरण को कटनी पुलिस सतना कोतवाली पुलिस के पास ट्रांसफर कर रही है. यह बताया जा रहा है कि अपराध की शुरूआत सतना के राजेन्द्र नगर इलाके से हुई थी. इसलिए अगली कार्रवाही अब कोतवाली सतना पुलिस करेगी.
रेलवे लोको पायलट की गोली मारकर हत्या!
यह है मामला
जितेन्द्र की पत्नी अनामिका चौरसिया ने सतना कोतवाली में और दूसरी ओर कटनी कोतवाली में जितेन्द्र के पिता वीरेन्द्र कुमार चौरसिया ने गुमशुदगी दर्ज कराई थी. सतना पुलिस इस मसले पर हाथ पर हाथ रखे बैठी रही और तेजी दिखाते हुए कोतवाली कटनी पुलिस ने लोको पायलट की तलाश शुरू कर दी थी.
फरियादियों ने पुलिस को बताया था कि किशोर गंज थाना गढ़ी मलेहरा जिला छतरपुर निवासी जितेन्द्र सतना में लोको पायलट है और पत्नी व परिवार के साथ राजेन्द्र नगर में रहता है. 21 दिसंबर की रात जितेन्द्र को उसका दोस्त धर्मेन्द्र चौरसिया उर्फ डीके बुलेरो गाड़ी एमपी 40 जेडबी 7337 से लेकर गया था. देर रात जब अनामिका ने जितेन्द्र को कॉल किया तो उसका फोन बंद आया. 22 दिसंबर की सुबह 5 बजे धर्मेन्द्र को फोन किया तो उसने बताया कि वह जितेन्द्र को कटनी रेलवे स्टेशन के बाहर छोड़कर चला गया था.
सिर पर मारी थी गोली
रेलवे लोको पायलट जितेन्द्र का शव पवई से शाहनगर रोड में चांदा घाट से नीचे फेंका गया था. 20 फीट नीचे से उसका शव बरामद किया गया है. उसके सिर में कट्टे से गोली मारी गई है. यह बात सामने आई है कि धर्मेन्द्र चौरसिया उर्फ डीके ने सुनियोजित तरीके से फिरौती के लिए अपहरण का प्लान बनाया था.
उसने इस अपराध के लिए भाड़े के अपराधी गुलाब सिंह और पवन प्रजापति समेत अपने चाचा के बेटे को भी शामिल किया. गुलाब आदतन अपराधी है. उसके खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज हो चुका है और उसके परिवार के सदस्य मौजूदा समय में जेल में हैं. गुलाब को कट्टा खरीदने के लिए धर्मेन्द्र ने पैसे दिए थे. उसने दो कट्टा खरीदे और योजना के मुताबिक तब मिला जब धर्मेन्द्र अपने दोस्त जितेन्द्र को साथ लेकर आ गया था.
सब समझ गया था जितेन्द्र
जितेन्द्र को शराब इतनी पिलाई कि वह बेहोशी की हालत में हो गया था. नींद खुलने पर उसने धर्मेन्द्र और बाकी दोनों गुलाब व पवन की बातें सुन लिया था. तब उसने विरोध किया तो पीछे सीट में बैठे गुलाब और पवन ने उसे कट्टे की नोक पर ले लिया. पहले डराते रहे फिर उसे गोली मार दी. हालांकि धर्मेन्द्र की योजना ऐसी ही थी कि जितेन्द्र के परिवार से एक करोड़ की फिरौती लेने के बाद उसकी हत्या कर देंगे.
स्टेशन के अंदर बाहर का खेल
लोको पायलट जितेन्द्र की हत्या के बाद जितेन्द्र का फोन और पर्स लेकर आरोपी धर्मेन्द्र अपने दोनों दोस्तों के साथ कटनी रेलवे स्टेशन पहुंचा. यहां गुलाब और पवन को जितेन्द्र का मोबाइल लेकर स्टेशन के अंदर भेजा गया. जहां दोनों करीब आधो घंटे रहे और फिर बाहर आकर उसका फोन बंद कर दिया.
इसके बाद तीनों जबलपुर निकल गए. जहां से गुलाब और पवन बस से छतरपुर के लिए रवाना हुए और धर्मेन्द्र वहीं बना रहा. जब जितेन्द्र के परिवार वालों के फोन आने लगे तो वह उनके साथ आकर तलाश करने का ढोंग करने लगा.