कोलकाता, 21 अगस्त (आईएएनएस)| जादवपुर विश्वविद्यालय में 10 अगस्त को रैगिंग से हुई मौत की जांच के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की एंटी-रैगिंग सेल की एक टीम अगले सप्ताह यहां पहुंच सकती है।
सोमवार को इस संबंध में संकेत देते हुए केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राज्य सरकार को उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि राज्य प्रशासन विश्वविद्यालय परिसर में अब तक रैगिंग के खतरे को रोकने में असफल रही है।
प्रधान ने कहा, “जेयू ने यूजीसी द्वारा निर्धारित एंटी-रैगिंग दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इस संबंध में कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बाद भी राज्य सरकार चुप रही। जेयू परिसर में बाहरी लोगों को मुफ्त प्रवेश कैसे मिल सकता है? पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? राज्य सरकार अब अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। किसी नये रैगिंग विरोधी कानून की कोई आवश्यकता नहीं है। इस संबंध में मौजूदा दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की आवश्यकता है।”
यूजीसी की टीम पिछले सप्ताह ही यूनिवर्सिटी आने वाली थी। पर ऐसा नहीं हुआ। इस बीच, जेयू अधिकारियों ने परिसर के भीतर रैगिंग को रोकने के लिए जेयू अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों पर आयोग की जांच पर दो रिपोर्टें दी हैं।
इस बीच, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग ने जेयू के छात्रों के डीन रजत रॉय को सोमवार को आयोग कार्यालय में बुलाया और नवागंतुक की मौत की खबर मिलने के बाद उनके द्वारा की गई कार्रवाई पर उनसे पूछताछ की।
नवनियुक्त अंतरिम कुलपति बुद्धदेव साव ने भी सोमवार को विश्वविद्यालय की एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक बुलाई है और सभी विभागाध्यक्षों को वहां उपस्थित रहने को कहा है। बैठक दोपहर 2 बजे शुरू होने वाली है।
जेयू के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि सोमवार की बैठक में नए या प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ रैगिंग और उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा हो सकती है। नए या प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए छात्रावास को अलग करने के संबंध में प्रगति पर भी चर्चा की जाएगी।
–आईएएनएस
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