नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। लंदन असेंबली ने एक ब्रिटिश भारतीय असेंबली सदस्य की ओर से पेश प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर मेट्रोपॉलिटन पुलिस से स्थानीय हिंदुओं के साथ काम करने और उन्हें अपने समुदाय को निशाना बनाने वाले घृणा अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया है।
इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए कि हिंदू घृणा अपराध के मामलों को प्रभावी ढंग से दर्ज नहीं किया जा रहा है, असेंबली ने गुरुवार को पुलिस से अपने अपराध डैशबोर्ड पर धर्म के आधार पर घृणा अपराध के विवरण को शामिल करने का आह्वान किया।
असेंबली सदस्य क्रुपेश हिरानी ने कहा, “मुझे खुशी है कि लंदन असेंबली मेट्रोपॉलिटन पुलिस को जवाबदेह ठहराने का समर्थन करती है, ताकि वे हमारे समुदाय में विश्वास कायम कर सकें।”
असेंबली के पटल पर प्रस्ताव पेश कर हिरानी ने कहा, “स्कूल के विद्यार्थियों पर मांस फेंका जा रहा है, माथे पर लाल बिंदी का निशान पहने महिलाओं को स्नाइपर का निशान होने का ताना दिया जा रहा है, दुख की बात है कि पिछले साल हमारे समुदाय के साथ घृणा अपराधों में चिंताजनक वृद्धि हुई है।”
इंग्लैंड और वेल्स के लिए 2023 के अपराध सर्वेक्षण के अनुसार, हिंदू, जो लंदन की आबादी का 5.15 प्रतिशत है, धार्मिक रूप से प्रेरित घृणा अपराध का शिकार होने वाला दूसरा सबसे संभावित धर्म है।
मेट पुलिस डैशबोर्ड धर्म के आधार पर घृणा अपराध को विभाजित नहीं करता है, इससे हिंदू लंदनवासियों के खिलाफ दर्ज अपराधों की संख्या को देखना मुश्किल हो जाता है।
ब्रेंट और हैरो निर्वाचन क्षेत्रों के लेबर समूह के सदस्य ने एक बयान में कहा, “हमें घृणा अपराध की बेहतर रिकॉर्डिंग देखने की जरूरत है… हिंदूफोबिया बहुत आम है लेकिन इसे ठीक से दर्ज नहीं किया गया है। हम इन मुद्दों से तब तक निपटना शुरू नहीं कर सकते जब तक कि इसे ठीक से मान्यता न दी जाए।”
हाल के गृह कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, 2022/2023 में 291 घृणा अपराध हुए – जो इंग्लैंड और वेल्स में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए हिंदुओं के खिलाफ तीन प्रतिशत हैं।
गृह कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि हिंदुओं के खिलाफ घृणा अपराध 2017-18 में 58 से बढ़कर 2020-21 में 166 हो गए, चार वर्षों में लगभग 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
वर्ष 2018-19 और 2019-20 में हिंदुओं के खिलाफ 114 हमले हुए, और ये अपराध नस्लीय अपमान और हमलों से लेकर संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों की बर्बरता तक थे।
आंकड़ों से यह भी पता चला है कि 2015 के बाद से हर महीने पुलिस द्वारा दर्ज किए गए नस्लीय या धार्मिक रूप से गंभीर अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है।
इस साल अप्रैल में, लंदन स्थित एक स्वतंत्र थिंक टैंक ने 988 हिंदू माता-पिता का सर्वेक्षण किया और पाया कि उनमें से 51 प्रतिशत ने बताया कि उनके बच्चों को यूके के स्कूलों में भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
–आईएएनएस
सीबीटी