गोटेगांव तहसील क्षेत्र के अंतर्गत सालों पुराने पेड़ों की अवैध तरीके से कटाई करके उसकी लकड़ी को लकड़ी माफिया बिचौलियां ट्रको में भर कर महानगर पहुंचा कर मोटी रकम अपनी जेब में भर रहे हैं. हरे भरे सालों पुराने पेड़ों की कटाई खुले आम हो रही है.
बिचौलिए किसानों की जमीन पर लगे ऐसे हरे भरे पेड़ों का सौदा करके उसको बिना मंजूरी के काट कर ट्रकों में भर कर लकड़ी बाहर पहुंचा रहे हैं . ऐसे पेड़ की छोटी मोटी हरी झाड़ियों को वही पर छोड़ कर चले जाते है जिसका उपयोग किसान करता रहता है.
इलाके में आए दिन पुराने हर भरे पेड़ की अवैध कटाई हो रही है अभी तक बबूल के पेड़ों पर बिचौलियों की गहरी नजर रहती थी अब उनकी नजर आम के पेड़ों पर हो गई है और वह सालों पुराने पेड़ में निकलने वाली लकड़ी की तादाद को देख कर किसान से सौदे बाजी करके हरे भरे पेड़ को काट रहे हैं और बिना रोक टोक के ट्रक में लकड़ी भर कर बाहर शहरों में बेच रहे हैं.
वनविभाग एवं राजस्व विभाग का अमला हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं,पता चला है कि बिचौलिए किसानों के माध्यम से सूखे पेड़ की मंजूरी प्राप्त करके हरे भरे पेड़ को काट कर ले जा रहे है. क्षेत्र में जिन इलाकों में सालों पुराने पेड़ काटे गए हैं . उनकी हरी भरी पत्ती खुलेआम गवाही दे रहे है कि पेड़ सूखा था या हरा भरा था. वहीं नागरिकों का कहना है क्षेत्र के पेड़ यदि इसी तरह से कटते रहेगें तो आगामी समय में पेड़ों का नाम और निशान मिट जाएगा.
यह लकड़ी माफिया आम का पेड़ जामुन,बाबुल सराई और किसी भी प्रजाति का पेड़ हो चाहे वह बड़ा हो या छोटा हो उसको कटर मशीनों से मिनटों में काटकर चकनाचूर कर देते हैं. क्षेत्र के पेड़ों पर इस समय बिचौलियों की नजर लगी है यदि वह ऐसी ही लगी रहेगी तो पेड़ों की तादाद को विलुप्त होने में देर नहीं लगेगी.
वहीं महानगरों में फर्नीचर बनाने वाले इसके पहले बबूल की लकड़ी का बहुत इस्तेमाल करते थे जिसके कारण आस पास के बबूल के पेड़ों की व्यापक स्तर पर कटाई का कार्य हुआ है किसानों के खेत पर ऐसे बबूल के पेड़ अब गायब हो गए है. अब आम की लकड़ी पर बिचौलियों की नजर लगी है और वह महानगरों में विभिन्न फर्निचर में इस्तेमाल करने के लिए गांव स्तर से लकडी पहुंचा रहे है.
बिना टीपी के ऐसे लकड़ी के वाहन रातों रात महानगर पहुंच रहे है. वही नागरिकों का कहना है कि बड़े ट्रैकों में लकड़ी भर कर ले जाना कहीं ना कहीं अधिकारियों की सांठगांठ से ही मुमकिन हो सकता है जहां बिचौलिए अपनी जेब गर्म करने के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर मुनाफा कमा रहे और संबंधित विभाग कुंभकरण की तरह चिर निद्रा में गोते लगा रहा है.