लखनऊ, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। जानकीपुरम एक्सटेंशन इलाके में कथित तौर पर कुत्तों के झुंड ने एक 40 वर्षीय महिला को काट लिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई।
उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई।
रात 9 बजे सृष्टि अपार्टमेंट निवासी रिहाना आसिफ अपने ससुर के साथ शाम की सैर पर निकली थीं।
रिहाना ने कहा, मैं लगभग 200 मीटर आगे बढ़ चुकी थी कि अचानक छह कुत्तों का एक झुंड मुझ पर भौंकने लगा। घबराकर मैंने कुत्तों को भगाने की कोशिश की, लेकिन उनमें से एक ने मुझ पर हमला कर दिया।
उन्होंने आगे बताया, एक कुत्ते ने मेरे पैर की उंगलियों को कुतर दिया और मांस का एक टुकड़ा निकालने की कोशिश की। अन्य लोगों ने मेरी जांघ और कमर पर काटने की कोशिश की।
उसके रोने की आवाज सुनकर पड़ोसी ने उसके ससुर के साथ कुत्तों को भगाया और उसे अस्पताल ले गए।
रिहाना ने संवाददाताओं से कहा, कुत्तों की गुर्राहट अभी भी मेरे कानों में गूंज रही है। अगर मेरे पड़ोसी और मेरे ससुर मुझे बचाने नहीं आते, तो मैं हमले में मर जाती।
सृष्टि अपार्टमेंट के निवासियों ने लखनऊ नगर निगम पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
एक निवासी ने कहा, सिर्फ एक साल में ऐसी सात घटनाएं हो चुकी हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा कि एलएमसी ने इन कुत्तों को नसबंदी के बाद उसी इलाके में छोड़ दिया, जहां से इन्हें उठाया गया था, जिससे ये और आक्रामक हो गए।
इस बीच, एलएमसी के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अभिनव वर्मा ने कहा, क्षेत्र के अधिकांश कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है।
एक निजी पशु चिकित्सक रजनीश चंद्रा ने कहा, अक्सर नसबंदी के बाद, एक कुत्ते को सामान्य व्यवहार शुरू करने के लिए लगभग 45 दिनों की आवश्यकता होती है। इस अवधि के दौरान, वे आक्रामक हो सकते हैं। एजेंसियों को उन्हें छोड़ने से पहले इस बिंदु पर विचार करना चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने कहा, लोग आमतौर पर आवारा कुत्तों को बिस्कुट और ब्रेड देते हैं, बिना यह जाने कि यह उनमें इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन पैदा कर सकता है और उन्हें आक्रामक बना सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई कुत्ता लेप्टोस्पायरोसिस, लिस्टेरिया या टिक्स जैसी बीमारियों से पीड़ित है, तो वह लोगों को काट सकता है।
–आईएएनएस
एचएमए