लखनऊ, 2 जून (आईएएनएस)। 21 वर्षीय निशा गुप्ता ने अपने पिता को लीवर दान कर उनकी जान बचाई। वह बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान की पढ़ाई कर रही है।
गाजियाबाद जिले के सब्जी विक्रेता 51 वर्षीय संजय गुप्ता का 15 मई को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में लीवर ट्रांसप्लांट हुआ था।
डोनर को अस्पता से पहले छुट्टी दे दी गई थी, प्राप्तकर्ता को गुरुवार को छुट्टी दी गई थी।
केजीएमयू के अधिकारियों के अनुसार, परिवार को कुल खर्च 12 लाख रुपये में से केवल 6.5 लाख रुपये ही खर्च करने पड़े। बाकी पैसे की व्यवस्था विश्वविद्यालय के फैकल्टी सदस्यों ने सामाजिक सहायता समूहों की मदद से की।
पत्रकारों से बात करते हुए संजय ने अपनी बेटी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, मेरी बेटी मेरे लिए दुर्गा का रूप बन गई। भगवान हर माता-पिता को उनके जैसी बेटी दे।
कुछ लोग आज भी कहते हैं कि बेटियां बोझ होती हैं, लेकिन वे यह नहीं समझते कि बेटियां शक्ति होती हैं।
संजय के बेटे अविनाश गुप्ता ने कहा: मेरी मां और मेरे चाचा के साथ-साथ मेरा लीवर फेल होने पर हम उदास थे, लेकिन शुक्र है कि मेरी बहन का ऑर्गन मैच कर गया।
इसके बाद, केजीएमयू की ऑर्गन डोनेशन यूनिट के काउंसलर पीयूष श्रीवास्तव और क्षितिज वर्मा ने निशा को सर्जरी के बारे में बताया और उसने अपनी सहमति दे दी।
केजीएमयू के वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रोफेसर बिपिन पुरी के नेतृत्व में और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अभिजीत चंद्रा के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने प्रक्रिया को अंजाम दिया।
अविनाश ने कहा, हम वास्तव में उन डॉक्टरों के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने न केवल सर्जरी की बल्कि पैसे और देखभाल की व्यवस्था करने में भी हमारी मदद की।
–आईएएनएस
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