लखनऊ, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। यूपी के लखनऊ में दीपावली से पहले हर साल आयोजित होने वाले माटी कला मेले का सोमवार को मंत्री राकेश सचान ने उद्घाटन किया। यह मेला 21 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
इस मेले में उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए व्यापारी मिट्टी से बने उत्पादों और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए उपस्थित हुए हैं। मेले में लगभग 50 स्टॉलें लगाई जाएंगी, जहां विभिन्न प्रकार की माटी से बनी वस्तुएं प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
माटी कला मेले का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के समक्ष पेश कर सकें। इस मेले में शामिल व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की सराहना की है, जिसके माध्यम से उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिल रही है।
बाराबंकी जिले से आए शिव कुमार प्रजापति ने बताया कि यह मेला हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां हम फाउंटेन, तुलसी के गमले, और अन्य मिट्टी के उत्पाद बेचते हैं। गांव में इस तरह के उत्पादों की बिक्री बहुत कठिन होती है, लेकिन यहां हमें न केवल मुफ्त दुकान मिलती है, बल्कि हमें अपने सामान को प्रदर्शित करने का एक बेहतरीन मौका भी मिलता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की यह पहल हमारे व्यापार के लिए एक अद्भुत अवसर है। हर बार की तरह इस बार भी सजावट बहुत अच्छी की गई है और हमें उम्मीद है कि प्रतिक्रिया भी बेहतर होगी। इस मेले में मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियां, सजावटी सामान, दीपक, नारियल दीपक स्टैंड और अन्य पारंपरिक उत्पाद शामिल हैं। व्यापारी बताते हैं कि मेले में आए लोग न केवल खरीदारी करते हैं, बल्कि मिट्टी कला के प्रति अपनी रुचि भी व्यक्त करते हैं।
माटी कला मेला न केवल स्थानीय कारीगरों के लिए एक बिक्री का अवसर है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करता है। व्यापारियों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों से उनके उत्पादों की मांग बढ़ती है।
–आईएएनएस
पीएसके/एबीएम
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लखनऊ, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। यूपी के लखनऊ में दीपावली से पहले हर साल आयोजित होने वाले माटी कला मेले का सोमवार को मंत्री राकेश सचान ने उद्घाटन किया। यह मेला 21 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
इस मेले में उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए व्यापारी मिट्टी से बने उत्पादों और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए उपस्थित हुए हैं। मेले में लगभग 50 स्टॉलें लगाई जाएंगी, जहां विभिन्न प्रकार की माटी से बनी वस्तुएं प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
माटी कला मेले का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के समक्ष पेश कर सकें। इस मेले में शामिल व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की सराहना की है, जिसके माध्यम से उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिल रही है।
बाराबंकी जिले से आए शिव कुमार प्रजापति ने बताया कि यह मेला हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां हम फाउंटेन, तुलसी के गमले, और अन्य मिट्टी के उत्पाद बेचते हैं। गांव में इस तरह के उत्पादों की बिक्री बहुत कठिन होती है, लेकिन यहां हमें न केवल मुफ्त दुकान मिलती है, बल्कि हमें अपने सामान को प्रदर्शित करने का एक बेहतरीन मौका भी मिलता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की यह पहल हमारे व्यापार के लिए एक अद्भुत अवसर है। हर बार की तरह इस बार भी सजावट बहुत अच्छी की गई है और हमें उम्मीद है कि प्रतिक्रिया भी बेहतर होगी। इस मेले में मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियां, सजावटी सामान, दीपक, नारियल दीपक स्टैंड और अन्य पारंपरिक उत्पाद शामिल हैं। व्यापारी बताते हैं कि मेले में आए लोग न केवल खरीदारी करते हैं, बल्कि मिट्टी कला के प्रति अपनी रुचि भी व्यक्त करते हैं।
माटी कला मेला न केवल स्थानीय कारीगरों के लिए एक बिक्री का अवसर है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करता है। व्यापारियों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों से उनके उत्पादों की मांग बढ़ती है।
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इस मेले में उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए व्यापारी मिट्टी से बने उत्पादों और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए उपस्थित हुए हैं। मेले में लगभग 50 स्टॉलें लगाई जाएंगी, जहां विभिन्न प्रकार की माटी से बनी वस्तुएं प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
माटी कला मेले का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के समक्ष पेश कर सकें। इस मेले में शामिल व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की सराहना की है, जिसके माध्यम से उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिल रही है।
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माटी कला मेला न केवल स्थानीय कारीगरों के लिए एक बिक्री का अवसर है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करता है। व्यापारियों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों से उनके उत्पादों की मांग बढ़ती है।
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लखनऊ, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। यूपी के लखनऊ में दीपावली से पहले हर साल आयोजित होने वाले माटी कला मेले का सोमवार को मंत्री राकेश सचान ने उद्घाटन किया। यह मेला 21 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
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लखनऊ, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। यूपी के लखनऊ में दीपावली से पहले हर साल आयोजित होने वाले माटी कला मेले का सोमवार को मंत्री राकेश सचान ने उद्घाटन किया। यह मेला 21 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
इस मेले में उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए व्यापारी मिट्टी से बने उत्पादों और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए उपस्थित हुए हैं। मेले में लगभग 50 स्टॉलें लगाई जाएंगी, जहां विभिन्न प्रकार की माटी से बनी वस्तुएं प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
माटी कला मेले का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के समक्ष पेश कर सकें। इस मेले में शामिल व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की सराहना की है, जिसके माध्यम से उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिल रही है।
बाराबंकी जिले से आए शिव कुमार प्रजापति ने बताया कि यह मेला हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां हम फाउंटेन, तुलसी के गमले, और अन्य मिट्टी के उत्पाद बेचते हैं। गांव में इस तरह के उत्पादों की बिक्री बहुत कठिन होती है, लेकिन यहां हमें न केवल मुफ्त दुकान मिलती है, बल्कि हमें अपने सामान को प्रदर्शित करने का एक बेहतरीन मौका भी मिलता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की यह पहल हमारे व्यापार के लिए एक अद्भुत अवसर है। हर बार की तरह इस बार भी सजावट बहुत अच्छी की गई है और हमें उम्मीद है कि प्रतिक्रिया भी बेहतर होगी। इस मेले में मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियां, सजावटी सामान, दीपक, नारियल दीपक स्टैंड और अन्य पारंपरिक उत्पाद शामिल हैं। व्यापारी बताते हैं कि मेले में आए लोग न केवल खरीदारी करते हैं, बल्कि मिट्टी कला के प्रति अपनी रुचि भी व्यक्त करते हैं।
माटी कला मेला न केवल स्थानीय कारीगरों के लिए एक बिक्री का अवसर है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करता है। व्यापारियों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों से उनके उत्पादों की मांग बढ़ती है।
–आईएएनएस
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लखनऊ, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। यूपी के लखनऊ में दीपावली से पहले हर साल आयोजित होने वाले माटी कला मेले का सोमवार को मंत्री राकेश सचान ने उद्घाटन किया। यह मेला 21 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
इस मेले में उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए व्यापारी मिट्टी से बने उत्पादों और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए उपस्थित हुए हैं। मेले में लगभग 50 स्टॉलें लगाई जाएंगी, जहां विभिन्न प्रकार की माटी से बनी वस्तुएं प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
माटी कला मेले का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के समक्ष पेश कर सकें। इस मेले में शामिल व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की सराहना की है, जिसके माध्यम से उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिल रही है।
बाराबंकी जिले से आए शिव कुमार प्रजापति ने बताया कि यह मेला हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां हम फाउंटेन, तुलसी के गमले, और अन्य मिट्टी के उत्पाद बेचते हैं। गांव में इस तरह के उत्पादों की बिक्री बहुत कठिन होती है, लेकिन यहां हमें न केवल मुफ्त दुकान मिलती है, बल्कि हमें अपने सामान को प्रदर्शित करने का एक बेहतरीन मौका भी मिलता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की यह पहल हमारे व्यापार के लिए एक अद्भुत अवसर है। हर बार की तरह इस बार भी सजावट बहुत अच्छी की गई है और हमें उम्मीद है कि प्रतिक्रिया भी बेहतर होगी। इस मेले में मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियां, सजावटी सामान, दीपक, नारियल दीपक स्टैंड और अन्य पारंपरिक उत्पाद शामिल हैं। व्यापारी बताते हैं कि मेले में आए लोग न केवल खरीदारी करते हैं, बल्कि मिट्टी कला के प्रति अपनी रुचि भी व्यक्त करते हैं।
माटी कला मेला न केवल स्थानीय कारीगरों के लिए एक बिक्री का अवसर है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करता है। व्यापारियों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों से उनके उत्पादों की मांग बढ़ती है।
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लखनऊ, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। यूपी के लखनऊ में दीपावली से पहले हर साल आयोजित होने वाले माटी कला मेले का सोमवार को मंत्री राकेश सचान ने उद्घाटन किया। यह मेला 21 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर तक चलेगा।
इस मेले में उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए व्यापारी मिट्टी से बने उत्पादों और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए उपस्थित हुए हैं। मेले में लगभग 50 स्टॉलें लगाई जाएंगी, जहां विभिन्न प्रकार की माटी से बनी वस्तुएं प्रदर्शित और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
माटी कला मेले का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के समक्ष पेश कर सकें। इस मेले में शामिल व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की सराहना की है, जिसके माध्यम से उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में मदद मिल रही है।
बाराबंकी जिले से आए शिव कुमार प्रजापति ने बताया कि यह मेला हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां हम फाउंटेन, तुलसी के गमले, और अन्य मिट्टी के उत्पाद बेचते हैं। गांव में इस तरह के उत्पादों की बिक्री बहुत कठिन होती है, लेकिन यहां हमें न केवल मुफ्त दुकान मिलती है, बल्कि हमें अपने सामान को प्रदर्शित करने का एक बेहतरीन मौका भी मिलता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की यह पहल हमारे व्यापार के लिए एक अद्भुत अवसर है। हर बार की तरह इस बार भी सजावट बहुत अच्छी की गई है और हमें उम्मीद है कि प्रतिक्रिया भी बेहतर होगी। इस मेले में मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियां, सजावटी सामान, दीपक, नारियल दीपक स्टैंड और अन्य पारंपरिक उत्पाद शामिल हैं। व्यापारी बताते हैं कि मेले में आए लोग न केवल खरीदारी करते हैं, बल्कि मिट्टी कला के प्रति अपनी रुचि भी व्यक्त करते हैं।
माटी कला मेला न केवल स्थानीय कारीगरों के लिए एक बिक्री का अवसर है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करता है। व्यापारियों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजनों से उनके उत्पादों की मांग बढ़ती है।