नई दिल्ली, 12 फरवरी (आईएएनएस)। भारत से सटे सीमावर्ती इलाके लद्दाख, पैंगोंग, तिब्बत, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से लगे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के आसपास चीन दिक्कतें पैदा करता रहा है।
बॉर्डर से लगे इलाकों पर चीन द्वारा हवाई पट्टियां बनाई जा रही हैं। वहीं चीन कई सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलों का निर्माण भी कर रहा है। हालांकि भारतीय सेना स्पष्ट शब्दों में कह चुकी है कि वह किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार है। हाल ही में हुई झड़पों के दौरान भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को करारी शिकस्त भी दी है।
लद्दाख स्थित एलएसी पर ऐसा ही तनाव है। यहां चीन के कारण पैंगोंग झील पर पहले ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव है। अब पैंगोंग झील के इलाके में चीन तेजी से पुल निर्माण कर रहा है। सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन लगभग आठ मीटर चौड़े पुल का निर्माण कर रहा है और भीषण ठंड के बावजूद सर्दियों में पुल का काम जारी रहा।
यह पुल पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर स्थित चीनी सेना के बेस से दक्षिण की तरफ है। साल 2020 में भारत के साथ टकराव के दौरान चीन ने इस जगह पर अपने अस्थाई अस्पताल और गोडाउन बना लिए थे।
गौरतलब है कि 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। उस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। इस घटना के लिए चीन की अतिक्रमणवादी हरकतें जिम्मेदार थीं।
कई महीने बाद फरवरी 2021 में चीन ने गलवान घाटी झड़प में शहीद हुए अपने चार सैनिकों को मरणोपरांत पदक देने की घोषणा की। चीन ने केवल चार सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ने अपनी एक खोजी रिपोर्ट में दावा किया कि गलवान में चीन के चार नहीं बल्कि पीएलए के कम से कम 38 सैनिक मारे गए थे।
बीते साल 2022 में चीनी सेना ने अपनी तादाद बढ़ाने के बाद 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से इलाके में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 17,000 फीट की चोटी तक पहुंचने की कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक चीन की सेना एक सुनियोजित साजिश के तहत नौ दिसंबर को 300 सैनिकों के साथ अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से इलाके में स्थित भारतीय चौकी को हटाने के लिए एलएसी के पास पहुंची थी।
हालांकि भारत पहले से सतर्क था और यहां चीनी सेना के अनुपात में भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई थी। पूरी तरह से तैयार भारतीय सेना के जवानों ने अरुणाचल प्रदेश में चीनियों को उनके प्रयास में हरा दिया। सूत्र ने कहा कि इस झड़प में कुल 34 भारतीय और 40 से अधिक चीनी सैनिक घायल हुए हैं।
सिक्किम के नाथू ला में भी चीन अपनी खराब नीयत का परिचय दे चुका है। सितंबर 1967 में सिक्किम के नाथू ला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हुआ। यहां भारत के जहां 88 सैनिक शहीद हुए तो चीन के करीब 340 सैनिक मारे गए थे। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने नाथू ला में भारतीय चौकियों पर हमला किया था।
भारतीय सेना चीन को लेकर पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भी विशेष रूप से सतर्क है। चीन भूमि को कब्जाने की नीयत से बिना बाड़ वाले स्थानों पर हावी होने की कोशिश करता रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह बातें पिछले सप्ताह दिल्ली में हुई डीजीपी और आईजीपी की बैठक में प्रस्तुत किए गए नोट में भी कही गई हैं।
ऐसे में अधिकारियों ने भारत सरकार को सुझाव दिया गया है कि रणनीतिक क्षेत्रों जैसे – तुरतुक या सियाचिन सेक्टर और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) या डेपसांग के मैदानी क्षेत्रों में सीमा पर्यटन को तेजी से बढ़ावा दिया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि काराकोरम र्दे को भी घरेलू पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग व लंबी पैदल यात्रा के लिए खोला जा सकता है। वहीं रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट आईएएनएस को बता चुके हैं कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में टूरिज्म को बढ़ावा देने की ओर आगे बढ़ रही है।
–आईएएनएस
जीसीबी/एसकेपी