deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

लालन शेख की मौत: कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच के तरीके पर जताई नाराजगी

by
December 23, 2022
in ताज़ा समाचार
0
लालन शेख की मौत: कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच के तरीके पर जताई नाराजगी
0
SHARES
2
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

READ ALSO

राजस्थान के सीएम ने की हाई लेवल मीटिंग, ‘सभी राजकीय कर्मियों की छुट्टियां रद्द’ करने का निर्देश

भारत ने दिया पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों का मुंहतोड़ जवाब, एफ-16 और दो जेएफ-17 विमान भी मार गिराए

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

ADVERTISEMENT

कोलकाता, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

Related Posts

ताज़ा समाचार

राजस्थान के सीएम ने की हाई लेवल मीटिंग, ‘सभी राजकीय कर्मियों की छुट्टियां रद्द’ करने का निर्देश

May 9, 2025
ताज़ा समाचार

भारत ने दिया पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों का मुंहतोड़ जवाब, एफ-16 और दो जेएफ-17 विमान भी मार गिराए

May 9, 2025
ताज़ा समाचार

भारत पाकिस्तान को दिए जाने वाले बेलआउट पैकेज की समीक्षा के लिए आईएमएफ के समक्ष रखेगा अपना पक्ष

May 9, 2025
ताज़ा समाचार

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच 24 हवाई अड्डे बंद, एयरलाइंस ने जारी की एडवाइजरी

May 9, 2025
ताज़ा समाचार

‘पाकिस्तानी ड्रोन के असफल हमले के बाद स्थिति का जायजा लेने’ जम्मू निकले उमर अब्दुल्ला

May 9, 2025
ताज़ा समाचार

सीमा पर तनाव के बीच उत्तर प्रदेश में रेड अलर्ट, वाराणसी में प्रमुख स्थलों पर बढ़ाई गई सुरक्षा

May 9, 2025
Next Post
आईपीएल नीलामी में सबसे महंगे बिके सैम करन, कैमरून ग्रीन और स्टोक्स; गेल ने कहा तीनों प्राइवेट जेट के खिलाड़ी

आईपीएल नीलामी में सबसे महंगे बिके सैम करन, कैमरून ग्रीन और स्टोक्स; गेल ने कहा तीनों प्राइवेट जेट के खिलाड़ी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

जम्मू-कश्मीर: रामबन जिले में महसूस किए गए भूकंप के झटके

जम्मू-कश्मीर: रामबन जिले में महसूस किए गए भूकंप के झटके

June 17, 2023

बजरंग पुनिया, रवि दहिया ट्रायल में हारे, पेरिस ओलंपिक क्वालीफायर से बाहर होंगे

March 10, 2024

मैच को जीत के साथ ख़त्म करने के लिए भारत को एक रन मिलना चाहिए था : बहुतुले

August 3, 2024

पीएम मोदी का साल का पहला ‘मन की बात’ कार्यक्रम 19 जनवरी को

January 18, 2025
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

080584
Total views : 5867926
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Notifications