नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। इसके अंतर्गत मस्जिदों में काम करने वाले इमामों और मुउज्जिनों को समय से तनख्वाह नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में शगुफ्ता ने आईएएनएस से बात की और अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनको पेंशन को लेकर परेशानी हो रही है और उन्हें इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
लोगों से उधार मांग कर गुजारा करने को हम लोग मजबूर हैं। अभी घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है। चूल्हा जलाने के लिए घर में सिलेंडर तक नहीं है। जिस हालात से हम लोग गुजर रहे हैं, वो बहुत मुश्किलों से भरा है। मैं यही कहना चाहूंगी कि किसी दुश्मन को भी ऐसी जिंदगी नहीं गुजारनी पड़े, जिस तरीके से हम लोग गुजार रहे हैं।
पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
–आईएएनएस
एससीएच/जीकेटी
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। इसके अंतर्गत मस्जिदों में काम करने वाले इमामों और मुउज्जिनों को समय से तनख्वाह नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में शगुफ्ता ने आईएएनएस से बात की और अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनको पेंशन को लेकर परेशानी हो रही है और उन्हें इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
लोगों से उधार मांग कर गुजारा करने को हम लोग मजबूर हैं। अभी घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है। चूल्हा जलाने के लिए घर में सिलेंडर तक नहीं है। जिस हालात से हम लोग गुजर रहे हैं, वो बहुत मुश्किलों से भरा है। मैं यही कहना चाहूंगी कि किसी दुश्मन को भी ऐसी जिंदगी नहीं गुजारनी पड़े, जिस तरीके से हम लोग गुजार रहे हैं।
पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। इसके अंतर्गत मस्जिदों में काम करने वाले इमामों और मुउज्जिनों को समय से तनख्वाह नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में शगुफ्ता ने आईएएनएस से बात की और अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनको पेंशन को लेकर परेशानी हो रही है और उन्हें इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
लोगों से उधार मांग कर गुजारा करने को हम लोग मजबूर हैं। अभी घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है। चूल्हा जलाने के लिए घर में सिलेंडर तक नहीं है। जिस हालात से हम लोग गुजर रहे हैं, वो बहुत मुश्किलों से भरा है। मैं यही कहना चाहूंगी कि किसी दुश्मन को भी ऐसी जिंदगी नहीं गुजारनी पड़े, जिस तरीके से हम लोग गुजार रहे हैं।
पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। इसके अंतर्गत मस्जिदों में काम करने वाले इमामों और मुउज्जिनों को समय से तनख्वाह नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में शगुफ्ता ने आईएएनएस से बात की और अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनको पेंशन को लेकर परेशानी हो रही है और उन्हें इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
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शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
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शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। इसके अंतर्गत मस्जिदों में काम करने वाले इमामों और मुउज्जिनों को समय से तनख्वाह नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में शगुफ्ता ने आईएएनएस से बात की और अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनको पेंशन को लेकर परेशानी हो रही है और उन्हें इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
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शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
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पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। इसके अंतर्गत मस्जिदों में काम करने वाले इमामों और मुउज्जिनों को समय से तनख्वाह नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में शगुफ्ता ने आईएएनएस से बात की और अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनको पेंशन को लेकर परेशानी हो रही है और उन्हें इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
लोगों से उधार मांग कर गुजारा करने को हम लोग मजबूर हैं। अभी घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है। चूल्हा जलाने के लिए घर में सिलेंडर तक नहीं है। जिस हालात से हम लोग गुजर रहे हैं, वो बहुत मुश्किलों से भरा है। मैं यही कहना चाहूंगी कि किसी दुश्मन को भी ऐसी जिंदगी नहीं गुजारनी पड़े, जिस तरीके से हम लोग गुजार रहे हैं।
पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।
–आईएएनएस
एससीएच/जीकेटी
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नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। इसके अंतर्गत मस्जिदों में काम करने वाले इमामों और मुउज्जिनों को समय से तनख्वाह नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी क्रम में शगुफ्ता ने आईएएनएस से बात की और अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे उनको पेंशन को लेकर परेशानी हो रही है और उन्हें इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
शगुफ्ता ने आईएएनएस को बताया कि मेरा नाम शगुफ्ता है। मेरे शौहर का पांच साल पहले इंतकाल हो गया था, मेरा एक बेटा और दो बेटियां है। जिसमें से एक बेटी की शादी शौहर के सामने हो गई थी। दूसरे नंबर का बेटा है, जो अभी बुरी लतों में फंसा हुआ है और सबसे छोटी संतान बेटी है।
शगुफ्ता ने आगे बताया कि पति के नहीं रहने के बाद से वक्फ बोर्ड की तरफ से हमें 2500 रुपए बतौर पेंशन दी जाती थी। लेकिन पिछले दो सालों से वो भी आनी बंद हो गई। पैसों की कमी होने की वजह से घर के हालात बहुत खराब हैं।
लोगों से उधार मांग कर गुजारा करने को हम लोग मजबूर हैं। अभी घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है। चूल्हा जलाने के लिए घर में सिलेंडर तक नहीं है। जिस हालात से हम लोग गुजर रहे हैं, वो बहुत मुश्किलों से भरा है। मैं यही कहना चाहूंगी कि किसी दुश्मन को भी ऐसी जिंदगी नहीं गुजारनी पड़े, जिस तरीके से हम लोग गुजार रहे हैं।
पति के नहीं रहने के बाद समय से पेंशन नहीं मिलने का जिम्मेदार शगुफ्ता सरकार को मानती है। उनका कहना है कि, सरकार इन सबकी दोषी है। सरकार से कहना चाहूंगी कि वो हमारे पैसे लौटा दे और जो पेंशन बने, वो देना शुरू करे। जिससे हम लोगों का गुजर-बसर हो सके।