आगरा, 15 सितंबर (आईएएनएस)। वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली, वहीं कुछ विपक्षी नेता इसे गलत ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि किसी भी मजहब के बारे में सरकार का हस्तक्षेप किसी भी कीमत पर न्यायसंगत संगत नहीं है।
सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने कहा कि वक्फ बोर्ड का पूरा कानून ही दोष दोषपूर्ण है। किसी भी मजहब के बारे में सरकार का हस्तक्षेप किसी भी कीमत पर न्यायसंगत संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि जितनी भी धर्मों की संस्थाएं हैं, उनमें उन्हीं धर्मों के लोग रहते हैं। ऐसे में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम लोगों को शामिल करना कहीं से भी सही नहीं है। वह किसी भी कीमत पर न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने हिदायत देते हुए कहा, मेहरबानी करके मुस्लिमों के अंदरूनी मामलों में सरकार को हस्तक्षेप बंद कर देना चाहिए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर पूरी तरह रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी कानून को संवैधानिक माना जाता है और उसके प्रावधानों पर रोक सिर्फ दुर्लभ परिस्थितियों में ही लगाई जा सकती है। हालांकि, कोर्ट ने कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगाते हुए स्पष्ट किया कि नागरिकों के अधिकारों से जुड़े मामलों में सतर्कता बरतनी आवश्यक है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह आदेश सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में 22 मई को फैसला सुरक्षित रखा था। सोमवार को फैसला सुनाते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन कुछ धाराएं असंवैधानिक प्रतीत होती हैं और उन पर रोक आवश्यक है।
कोर्ट ने आदेश दिया कि कलेक्टर को नागरिकों की व्यक्तिगत संपत्ति के विवादों पर निर्णय करने का अधिकार नहीं होगा। इस संबंधी प्रावधान पर तत्काल रोक लगाई गई। इसके अलावा, वक्फ करने के लिए इस्लाम की पांच वर्षों की प्रैक्टिस की अनिवार्यता पर भी अंतरिम रोक लगाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर भी विचार किया। कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं किए जाएंगे और वक्फ परिषदों में कुल चार से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होंगे।
–आईएएनएस
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