नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार के लिए गठित जेपीसी की शुक्रवार को हुई बैठक से 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर निष्पक्ष चर्चा कराए जाने की मांग की। निलंबित सांसदों ने आईएएनएस से बात करते हुए जेपीसी अध्यक्ष के तौर-तरीकों पर सवाल भी खड़े किए।
मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा, “यह बहुत अफसोसजनक है कि जब भी कोई संसद या संसद की समितियों में संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवाज उठाता है, उसे नजरअंदाज किया जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है, क्योंकि संविधान को नकारा जा रहा है और लोकतांत्रिक मूल्य कमजोर हो रहे हैं। इसकी बजाय तानाशाही और बुलडोजर मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है और देशवासियों के लिए चिंता का विषय है।”
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है और यह विधेयक पूरी तरह से समय के खिलाफ है। यह वक्फ की संपत्तियों को हड़पने की एक साजिश प्रतीत हो रही है और इसके माध्यम से देश में नफरत फैलाने की योजना बनाई जा रही है। हमने स्पीकर साहब से सवाल किया कि इतनी जल्दबाजी क्यों है, जबकि इस विधेयक को सत्र के आखिरी दिन, यानी 4 अप्रैल तक रखा जा सकता था। उन्हें यह आशंका है कि इस तरह की जल्दबाजी से सभी पक्षों को अपनी बात रखने का उचित समय नहीं मिलेगा।”
द्रमुक सांसद ए. राजा ने कहा, “हमारी प्राथमिकता यह है कि हर राज्य को समान रूप से ध्यान में रखा जाए। स्पीकर को सीधे चेयरमैन से यह कहना चाहिए कि हर राज्य को अपने बयान देने का समान अवसर मिले। संशोधन प्रस्तुत करने के लिए केवल 48 घंटे का समय देना जल्दबाजी है, और यह कोई मजाक नहीं है। स्पीकर को यह समझना चाहिए कि इस प्रक्रिया के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। हमें लखनऊ में होना चाहिए और फिर यहां आकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संयुक्त संसदीय समिति को विचार करने का पर्याप्त समय मिले। वर्तमान कार्यक्रम में बदलाव किए जा रहे हैं, यहां तक कि मध्यरात्रि में भी, जो ठीक नहीं है। हम स्पीकर से अपील करते हैं कि वे इस प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाएं।”
–आईएएनएस
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