पटना, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक पेश किया। इसके बाद मेघवाल ने इस विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का अनुरोध किया। लेकिन विधेयक को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। इस मुद्दे पर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने प्रतिक्रिया जाहिर की।
मृत्युंजय तिवारी ने आईएएनएस से कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक सरकार द्वारा देश में जबरदस्ती थोपने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पहले भी देश में लागू था, लेकिन यह व्यवस्था अब क्यों टूट गई? अगर वह कड़ी टूट गई, तो क्या यह कड़ी फिर से नहीं टूटेगी?
तिवारी ने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर कई विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है और आम सहमति बनानी चाहिए। सभी पार्टियों को इस पर राय दी जानी चाहिए। इस प्रकार की मनमानी नहीं चल सकती। यह लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास है और सरकार का उद्देश्य क्षेत्रीय दलों को समाप्त करना है। इस विधेयक के लागू होने पर क्या होगा, इसका कोई स्पष्ट ब्लूप्रिंट नहीं दिख रहा है। सरकार को यह बताना चाहिए कि वह इस विधेयक को कैसे सफल बनाएगी। विपक्ष के सवालों का भी जवाब दिया जाना चाहिए, खासकर इंडिया गठबंधन के सवालों का।
उन्होंने कहा कि अगर यह व्यवस्था फिर से टूटती है, तो उसका क्या रास्ता होगा? उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि इस विधेयक को अमलीजामा पहनाने से क्या जनता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा? उनका कहना था कि यह विधेयक केवल असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए लाया जा रहा है। इस तरह के महत्वपूर्ण विधेयक को लागू करने से पहले सभी राजनीतिक दलों की राय ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र के मूल्यों को कमजोर करने का एक प्रयास हो सकता है। अगर इसे लागू किया जाता है, तो इससे क्षेत्रीय दलों को भी नुकसान पहुंचेगा और सरकार का यह कदम उन दलों को समाप्त करने के लिए हो सकता है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में प्रभावी हैं।
–आईएएनएस
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