नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। विद्युत मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली प्राप्त करने के लिए व्यापक योजना तैयार की है। इस योजना में अतिरिक्त पारेषण प्रणाली और बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता की स्थापना की परिकल्पना की गई है। विद्युत मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगा वॉट बिजली की स्थापित क्षमता के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली की योजना बनाने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है।
केंद्रीय ऊर्जा और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने बुधवार को दिल्ली में वर्ष 2030 तक 500 गीगा वॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए पारेषण प्रणाली योजना की शुरूआत की।
विद्युत मंत्रालय ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था जिसमें भारतीय सौर ऊर्जा निगम, भारतीय केंद्रीय पारेषण उपयोगिता लिमिटेड, भारतीय पावर ग्रिड कॉरपोरेशन लिमिटेड, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान और राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के प्रतिनिधि शामिल थे। वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगा वॉट बिजली की स्थापित क्षमता के लिए आवश्यक संचरण प्रणाली की योजना की आवश्यकता है।
विद्युत मंत्रालय के मुताबिक 500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म आधारित बिजली के लिए आवश्यक नियोजित अतिरिक्त पारेषण प्रणाली में 8120 सीकेएम हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट ट्रांसमिशन कॉरिडोर, 765 किलोवॉट एसी लाइनों के 25,960 सीकेएम, 400 किलोवॉट लाइनों के 15,758 सीकेएम और 2.44 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 220 केवी केबल के 1052 सीकेएम शामिल हैं।
मंत्रालय का कहना है कि पारेषण योजना में 0.28 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर गुजरात और तमिलनाडु में स्थित 10 गीगा वॉट अपतटीय पवन से बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक पारेषण प्रणाली भी शामिल है। नियोजित पारेषण प्रणाली के साथ, वर्तमान में 1.12 लाख मेगावाट से वर्ष 2030 तक अंतर-क्षेत्रीय क्षमता बढ़कर लगभग 1.50 लाख मेगावाट हो जाएगी।
दिन के समय के दौरान सीमित अवधि के लिए नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं के लिए चौबीसों घंटे बिजली प्रदान करने के लिए योजना में वर्ष 2030 तक 51.5 गीगा वॉट की बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है।
इस योजना ने देश में प्रमुख गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन के लिए आगामी केंद्रों की पहचान की है, जिसमें राजस्थान में फतेहगढ़, भादला, बीकानेर, गुजरात में खावड़ा, आंध्र प्रदेश में अनंतपुर, कुरनूल नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र, तमिलनाडु और गुजरात में अपतटीय पवन क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं। लद्दाख आदि में पार्क और इन संभावित उत्पादन केंद्रों के आधार पर पारेषण प्रणाली की योजना बनाई गई है।
मंत्रालय का कहना है कि 2030 तक 500 गीगा वॉट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के लिए उपरोक्त संचरण योजना के साथ, पारदर्शी बोली प्रणाली, एक खुला बाजार, एक त्वरित विवाद समाधान प्रणाली के साथ, भारत अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक बना रहेगा।
देश में वर्तमान में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 409 गीगा वॉट है जिसमें गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 173 गीगा वॉट क्षमता शामिल है, जो कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 42 प्रतिशत है। वर्ष 2030 तक नियोजित नवीकरणीय क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए, एक मजबूत पारेषण प्रणाली को पहले से स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि पवन और सौर ऊर्जा आधारित उत्पादन परियोजनाओं की निर्माण अवधि संबद्ध पारेषण प्रणाली की तुलना में बहुत कम है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया गया है।
–आईएएनएस
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