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Home ताज़ा समाचार

वह मेरे जीवन का सुखद पल था, जब कहा गया कि सीएम योगी बात करना चाहते हैं : उपराष्ट्रपति

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December 24, 2023
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “वह मेरे जीवन का सुखद पल था, जब मुझे कहा गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बात करना चाहते हैं।” रविवार को उपराष्ट्रपति उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध विश्‍वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचे।

यहां उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हालत क्या थे, कानून की दृष्टि से, विकास की दृष्टि से, यह प्रदेश दोनों में चिंता का विषय था। हताशा इतनी थी कि लोगों को चिंतन करने का मन नहीं था। हम कहां से कहां आ गए। उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश, देश की बात तो छोड़िए, दुनिया में कोई लॉ एंड ऑर्डर की बात हो तो हमारे मुख्यमंत्री को याद किया जाता है।

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उपराष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कन्वोकेशन एक विद्यार्थी के जीवन में बहुत बड़ा पड़ाव भी है व उसके जीवन का गेम चेंजर भी। किसी भी समाज के लिए खास तौर से प्रजातांत्रिक समाज के लिए यह बहुत जरूरी कि हम आम आदमी अपना सर उठा कर चलें, कि मेरे को वही अधिकार है जो दूसरे को है।

उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक पहले कहा करता था की इंडिया विश्‍व की पांच फ्रेजाइल अर्थव्यवस्था में से एक है। हमारी इकोनॉमी आज से 10 साल पहले विश्व के लिए चिंता का विषय थी। आज हम विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह आपके लिए फायदे की बात है। जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया, वह हमारे पीछे है। हमने यूके, फ्रांस को भी पीछे छोड़ा है। हम विश्‍व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेंगे।

उपराष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष एक मांग रखते हुए कहा कि गौतम बुद्ध विश्‍वविद्यालय, नालंदा और तक्षशिला विश्‍वविद्यालय के स्तर तक पहुंचना चाहिए। उन्‍होंने कहा, “मैंने कभी भी जिंदगी में ऐसी कोई मांग नहीं की है, गुरुजन से प्रियजन से या मित्रों से जो इंप्लीमेंटेबल नहीं हो। पर मेरी इस मांग में सब सहमत होंगे कि यह मांग मुख्यमंत्री द्वारा शत प्रतिशत इंप्लीमेंटेबल है।”

उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा, “आप देखिए, मशीन लर्निंग, ग्रीन हाइड्रोजन, और क्वांटम कंप्यूटिंग। भारत सरकार ने इन मामलों में दुनिया में एक तरीके से पहल कर रखी है। क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए 6000 करोड़ रुपये का आवंटन पहले से किया जा चुका है। पूरा कंप्यूटर मेकैनिज्म बदल जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन पर 9000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।”

उन्होंने कहा, “हमारे एक सांसद हैं, हार्वर्ड में जाकर कहते हैं कि भारत में डेमोक्रेसी जोखिम में है, भारत में प्रजातंत्र को खतरा है। प्रिय छात्र-छात्राओं, मैं आपको बताना चाहूंगा कि विश्‍वभर में भारत ही केवल एक ऐसा देश है, जिसे ग्रामीण स्तर तक भी संवैधानिक तरीके से लोकतांत्रिक बनाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

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नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “वह मेरे जीवन का सुखद पल था, जब मुझे कहा गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बात करना चाहते हैं।” रविवार को उपराष्ट्रपति उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध विश्‍वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचे।

यहां उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हालत क्या थे, कानून की दृष्टि से, विकास की दृष्टि से, यह प्रदेश दोनों में चिंता का विषय था। हताशा इतनी थी कि लोगों को चिंतन करने का मन नहीं था। हम कहां से कहां आ गए। उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश, देश की बात तो छोड़िए, दुनिया में कोई लॉ एंड ऑर्डर की बात हो तो हमारे मुख्यमंत्री को याद किया जाता है।

उपराष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कन्वोकेशन एक विद्यार्थी के जीवन में बहुत बड़ा पड़ाव भी है व उसके जीवन का गेम चेंजर भी। किसी भी समाज के लिए खास तौर से प्रजातांत्रिक समाज के लिए यह बहुत जरूरी कि हम आम आदमी अपना सर उठा कर चलें, कि मेरे को वही अधिकार है जो दूसरे को है।

उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक पहले कहा करता था की इंडिया विश्‍व की पांच फ्रेजाइल अर्थव्यवस्था में से एक है। हमारी इकोनॉमी आज से 10 साल पहले विश्व के लिए चिंता का विषय थी। आज हम विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह आपके लिए फायदे की बात है। जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया, वह हमारे पीछे है। हमने यूके, फ्रांस को भी पीछे छोड़ा है। हम विश्‍व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेंगे।

उपराष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष एक मांग रखते हुए कहा कि गौतम बुद्ध विश्‍वविद्यालय, नालंदा और तक्षशिला विश्‍वविद्यालय के स्तर तक पहुंचना चाहिए। उन्‍होंने कहा, “मैंने कभी भी जिंदगी में ऐसी कोई मांग नहीं की है, गुरुजन से प्रियजन से या मित्रों से जो इंप्लीमेंटेबल नहीं हो। पर मेरी इस मांग में सब सहमत होंगे कि यह मांग मुख्यमंत्री द्वारा शत प्रतिशत इंप्लीमेंटेबल है।”

उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा, “आप देखिए, मशीन लर्निंग, ग्रीन हाइड्रोजन, और क्वांटम कंप्यूटिंग। भारत सरकार ने इन मामलों में दुनिया में एक तरीके से पहल कर रखी है। क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए 6000 करोड़ रुपये का आवंटन पहले से किया जा चुका है। पूरा कंप्यूटर मेकैनिज्म बदल जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन पर 9000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।”

उन्होंने कहा, “हमारे एक सांसद हैं, हार्वर्ड में जाकर कहते हैं कि भारत में डेमोक्रेसी जोखिम में है, भारत में प्रजातंत्र को खतरा है। प्रिय छात्र-छात्राओं, मैं आपको बताना चाहूंगा कि विश्‍वभर में भारत ही केवल एक ऐसा देश है, जिसे ग्रामीण स्तर तक भी संवैधानिक तरीके से लोकतांत्रिक बनाया गया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “वह मेरे जीवन का सुखद पल था, जब मुझे कहा गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बात करना चाहते हैं।” रविवार को उपराष्ट्रपति उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध विश्‍वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंचे।

यहां उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हालत क्या थे, कानून की दृष्टि से, विकास की दृष्टि से, यह प्रदेश दोनों में चिंता का विषय था। हताशा इतनी थी कि लोगों को चिंतन करने का मन नहीं था। हम कहां से कहां आ गए। उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश, देश की बात तो छोड़िए, दुनिया में कोई लॉ एंड ऑर्डर की बात हो तो हमारे मुख्यमंत्री को याद किया जाता है।

उपराष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कन्वोकेशन एक विद्यार्थी के जीवन में बहुत बड़ा पड़ाव भी है व उसके जीवन का गेम चेंजर भी। किसी भी समाज के लिए खास तौर से प्रजातांत्रिक समाज के लिए यह बहुत जरूरी कि हम आम आदमी अपना सर उठा कर चलें, कि मेरे को वही अधिकार है जो दूसरे को है।

उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक पहले कहा करता था की इंडिया विश्‍व की पांच फ्रेजाइल अर्थव्यवस्था में से एक है। हमारी इकोनॉमी आज से 10 साल पहले विश्व के लिए चिंता का विषय थी। आज हम विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह आपके लिए फायदे की बात है। जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया, वह हमारे पीछे है। हमने यूके, फ्रांस को भी पीछे छोड़ा है। हम विश्‍व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेंगे।

उपराष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष एक मांग रखते हुए कहा कि गौतम बुद्ध विश्‍वविद्यालय, नालंदा और तक्षशिला विश्‍वविद्यालय के स्तर तक पहुंचना चाहिए। उन्‍होंने कहा, “मैंने कभी भी जिंदगी में ऐसी कोई मांग नहीं की है, गुरुजन से प्रियजन से या मित्रों से जो इंप्लीमेंटेबल नहीं हो। पर मेरी इस मांग में सब सहमत होंगे कि यह मांग मुख्यमंत्री द्वारा शत प्रतिशत इंप्लीमेंटेबल है।”

उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा, “आप देखिए, मशीन लर्निंग, ग्रीन हाइड्रोजन, और क्वांटम कंप्यूटिंग। भारत सरकार ने इन मामलों में दुनिया में एक तरीके से पहल कर रखी है। क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए 6000 करोड़ रुपये का आवंटन पहले से किया जा चुका है। पूरा कंप्यूटर मेकैनिज्म बदल जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन पर 9000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।”

उन्होंने कहा, “हमारे एक सांसद हैं, हार्वर्ड में जाकर कहते हैं कि भारत में डेमोक्रेसी जोखिम में है, भारत में प्रजातंत्र को खतरा है। प्रिय छात्र-छात्राओं, मैं आपको बताना चाहूंगा कि विश्‍वभर में भारत ही केवल एक ऐसा देश है, जिसे ग्रामीण स्तर तक भी संवैधानिक तरीके से लोकतांत्रिक बनाया गया है।

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यहां उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हालत क्या थे, कानून की दृष्टि से, विकास की दृष्टि से, यह प्रदेश दोनों में चिंता का विषय था। हताशा इतनी थी कि लोगों को चिंतन करने का मन नहीं था। हम कहां से कहां आ गए। उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश, देश की बात तो छोड़िए, दुनिया में कोई लॉ एंड ऑर्डर की बात हो तो हमारे मुख्यमंत्री को याद किया जाता है।

उपराष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कन्वोकेशन एक विद्यार्थी के जीवन में बहुत बड़ा पड़ाव भी है व उसके जीवन का गेम चेंजर भी। किसी भी समाज के लिए खास तौर से प्रजातांत्रिक समाज के लिए यह बहुत जरूरी कि हम आम आदमी अपना सर उठा कर चलें, कि मेरे को वही अधिकार है जो दूसरे को है।

उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक पहले कहा करता था की इंडिया विश्‍व की पांच फ्रेजाइल अर्थव्यवस्था में से एक है। हमारी इकोनॉमी आज से 10 साल पहले विश्व के लिए चिंता का विषय थी। आज हम विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यह आपके लिए फायदे की बात है। जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया, वह हमारे पीछे है। हमने यूके, फ्रांस को भी पीछे छोड़ा है। हम विश्‍व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेंगे।

उपराष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष एक मांग रखते हुए कहा कि गौतम बुद्ध विश्‍वविद्यालय, नालंदा और तक्षशिला विश्‍वविद्यालय के स्तर तक पहुंचना चाहिए। उन्‍होंने कहा, “मैंने कभी भी जिंदगी में ऐसी कोई मांग नहीं की है, गुरुजन से प्रियजन से या मित्रों से जो इंप्लीमेंटेबल नहीं हो। पर मेरी इस मांग में सब सहमत होंगे कि यह मांग मुख्यमंत्री द्वारा शत प्रतिशत इंप्लीमेंटेबल है।”

उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा, “आप देखिए, मशीन लर्निंग, ग्रीन हाइड्रोजन, और क्वांटम कंप्यूटिंग। भारत सरकार ने इन मामलों में दुनिया में एक तरीके से पहल कर रखी है। क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए 6000 करोड़ रुपये का आवंटन पहले से किया जा चुका है। पूरा कंप्यूटर मेकैनिज्म बदल जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन पर 9000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।”

उन्होंने कहा, “हमारे एक सांसद हैं, हार्वर्ड में जाकर कहते हैं कि भारत में डेमोक्रेसी जोखिम में है, भारत में प्रजातंत्र को खतरा है। प्रिय छात्र-छात्राओं, मैं आपको बताना चाहूंगा कि विश्‍वभर में भारत ही केवल एक ऐसा देश है, जिसे ग्रामीण स्तर तक भी संवैधानिक तरीके से लोकतांत्रिक बनाया गया है।

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